उन युवाओं को जिन पर बचपन में उनके माता-पिता ध्यान देते हैं और देखभाल करते हैं, उनकी आमदनी अधिक होती है। साथ-साथ उन्हें अकादमिक सफलता मिलती है और वे अधिक खुश रहते हैं। यह बात एक नए अध्ययन में कही गई है। अध्ययन निष्कर्ष से यह खुलासा हुआ है कि वे बच्चे जिनका पालन-पोषण सहयोगात्मक माहौल में हुआ और माता-पिता ने बहुत सकारात्मक ढंग से अपनी देखरेख में किया, बड़े होने पर उनकी आय अधिक रही, खुशहाली का स्तर भी अधिक रहा, पढ़ाई-लिखाई में भी सफल रहे और युवा होने पर नैतिकता का बोध भी उनके अंदर बहुत अधिक रहा।
दूसरी ओर, वे युवा जिनका बचपन में पालन-पोषण बहुत सख्ती वाले माहौल में हुआ और जिनमें माता-पिता ने कड़े अनुशासन के साथ उचित ढंग से ध्यान भी दिया वे भी ऊंची पगार और अकादमिक उपलब्धि हासिल करने में सफल रहे।
जापान के कोबे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर निशिमुरा काझूओ ने कहा, “हालांकि ऐसे लोगों में पाया गया कि वे युवा होने पर उतने खुश नहीं रहते, साथ ही उनमें तनाव का स्तर अधिक रहता है जिससे विभिन्न बीमारियां हो सकती हैं।”
जापान में बच्चों के पालन-पोषण के तरीकों का पता लगाने से जुड़े इस अध्ययन के लिए अध्ययन दल ने एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया।
बचपन में अपने माता-पिता से रिश्तों को लेकर पांच हजार पुरुषों एवं महिलाओं से सवालों के जवाब पूछे गए।
इन आंकड़ों का इस्तेमाल कर चार प्रमुख कारकों की पहचान की गई। वे थे रुचि, भरोसा, नियम और स्वतंत्रता। इसके अलावा साथ में कितना समय बिताया और डांट-फटकार सुनने का अनुभव भी था।
पालन-पोषण की छह श्रेणियां रखी गईं। इसमें सहयोगात्मक, सख्त, नम्र, आराम तलब, निष्ठुर और औसत था।
इसका परिणाम जापान की नीति विचार मंच रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनोमी, ट्रेड एंड इंडस्ट्री (आरआईईटीआई) में पेश किया जाएगा। -आईएएनएस
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