नई दिल्ली, 10 फरवरी (जनसमा)। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) का मानना है कि दुनिया में हर साल लगभग 21 मिलियन यानी लगभग 2 करोड़ 10 लाख लोगों के मानव अधिकारों का हनन होता है और वे मानव तस्करी के द्वारा अत्याचार के शिकार होते हैं। इनमें 22 प्रतिशत लोग देह-व्यापार में धकेल दिए जाते हैं।
आईएलओ ने मानव तस्करी को रोकने की अपील करते हुए इसे सबसे खतरनाक मानवाधिकार हनन का मामला बताया है।
वल्र्ड बैंक की वेबसाइट के अनुसार, लगभग 68 प्रतिशत लोगों को जबरन मजदूरी के लिए इस्तेमाल किया जाता है जबकि 22 प्रतिशत का शोषण यौन-व्यापार के रूप में होता है। ऐसा भी माना जाता है कि लगभग 10 प्रतिशत लोगों को कानून का भय दिखाकर दबाव में मजदूरी के लिए विवश किया जाता है।
आईएलओ के अनुसार, मानव तस्करी अत्यधिक लाभ का गैरकानूनी और अमानवीय धंधा है और ऐसा समझा जाता है कि इस अपराध और अमानवीय कार्य को करने वाल हर साल 150 बिलियन की कमाई करते हैं। इसमें 22 प्रतिशत देह-व्यापार में झोंक दिए जाते हैं जिसका लाभ 66 प्रतिशत से अधिक है यानी देह-व्यापार दुनिया में अपराध की दुनिया में सबसे अधिक फायदेमंद साबित हो रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, हर देश से मानव तस्करी हो रही है और जहां-जहां औद्योगिक विकास हो रहा है, वहां पर मजदूरों की जरूरत है और उन्हें कम पैसा देकर अधिक मजदूरी कराने के लिए दबाव बनाया जाता है। जिन क्षेत्रों में मानव तस्करी से लोगों के मानवाधिकारों का हनन होता है वह हैं निर्माण, उत्पादन, घरेलू सेवाएं, कृषि, खान मजदूरी और सेक्स इंडस्ट्री।
जिन देशों में पारिवारिक दृष्टि से बहुत अधिक अत्याचार होते हैं और मानवाधिकारों का हनन होता है उनमें पहला स्थान अफगानिस्तान का है।
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