एक अध्ययन में पाया गया है कि एक तरह की दवा, जो महिलाओं में एस्ट्रोजन (प्राथमिक सेक्स होर्मोन) का उत्पादन बाधित करती है और स्तन कैंसर के उपचार में प्रयोग होती है, वह घातक मानसिक उद्वेगों को तेजी और असरदार तरीके से दबाने में सहायक है। इवैनस्टन, इलिनोइस स्थित नॉर्थ वेस्टर्न युनिवर्सिटी के अध्ययन दल के एक वरिष्ठ अध्ययनकर्ता कैथरिन वूले ने कहा, “प्रभाव गहरे और स्पष्ट थे।”
यह अनुसंधान चूहे के मॉडल पर एपिलेप्टिकस की स्थिति में किया गया। यह स्थिति लंबे समय से उद्वेग की एक अवस्था है।
वूले ने कहा, “यह दर्शाता है कि उपलब्ध दवाएं मनुष्यों में मानसिक उद्वेगों को दबाने के लिए प्रभावी हो सकती हैं।”
शोधकर्ताओं को यह भी देख कर आश्चर्य हुआ कि उद्वेगों से पुरुष और महिला दोनों में एस्ट्रोजन का उत्पादन बढ़ता है। उद्वेगों की यह भूमिका पहले अज्ञात थी।
अध्ययन में पाया गया कि उद्वेगों के दौरान एस्ट्रोजन का संश्लेषण स्थिति को और भी खराब कर देता है।
यह नतीजा मनुष्यों में मानसिक उद्वेगों के उपचार में नया दृष्टिकोण अपनाने का सुझाव देता है, यानी जब उद्वेग शुरू होता है तो मस्तिष्क में एस्ट्रोजन के उत्पादन बंद कर दें।
वर्तमान में मानसिक उद्वेगों के उपचार में इसे लक्षित नहीं किया जाता है। समान्यत: चिकित्सक तंत्रिका गतिविधियों को निरुत्साहित करते हैं, जिसके तंद्रा, चक्कर आना या ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसे कई दुष्प्रभाव होते हैं।
ई-लाइफ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने पाया कि उद्वेग के बाद एस्ट्रोजन संश्लेषण को रोकने से बिना उद्वेग रोधी दवाओं के इस्तेमाल या अन्य हस्तक्षेपों के ही पुरुष और महिला दोनों में मानसिक उद्वेग दब जाता है।
रासायनिक प्रेरित उद्वेगों के शुरू होने के तुरंत बाद वैज्ञानिकों ने नर और मादा दोनों जानवरों के शरीर में सुई के जरिए एक निष्क्रिय पदार्थ या एक सुगंधित अवरोधक या फ्रेडोजोल या लेट्रोजोल पहुंचा दिया।
उन्होंने पाया कि फ्रेडोजोल और लेट्रोजोल दोनों ने जानवरों के दोनों लिंगों में छह घंटों तक उद्वेगों को दबा दिया। –आईएएनएस
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