सकारात्मक यादें मानव मस्तिष्क में सकारात्मक भावनाओं को उत्पन्न करने की संभावना बढ़ाती हैं, जो चिंता या अवसाद के उपचारों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं। एक नए शोध ने इसकी जानकारी दी है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपुल के शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को मापने के लिए सोशल ब्रॉड माइंडेड इफेक्टिव कोपिंग (बीएमएसी) तकनीक का उपयोग किया। बीएमएसी एक तकनीकी हस्तक्षेप है, जो सकारात्मक स्मृति की मानसिक कल्पना के माध्यम से सकारात्मक प्रभाव या भावनाओं को प्रकाशित करता है।
यूनिवर्सिटी ऑफ लिवरपुल से इस शोध के नेतृत्वकर्ता बताते हैं, “बीएमएसी के पास चिंता और अवसाद ग्रस्त प्रतिभागियों के मन को व्यावहारिक और प्रभावी ढंग से अच्छा करने की क्षमता है।”
निष्कर्षों से पता चला है कि बीएमएसी के बाद प्रतिभागियों में सामाजिक सुरक्षा की भावनाएं, सकारात्मक प्रभाव और सुकून परक जैसे प्रभावों में वृद्धि हुई। वहीं नकारात्मकता और नकारात्मक व्यवहारों में कमी आई।
इस शोध में 123 प्रतिभागियों का अध्ययन किया गया था।
यह शोध ‘साइकोलॉजी एंड साइकोथैरेपी : थ्योरी, रिसर्च एंड प्रैक्टिस’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।(आईएएनएस)
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