देवघर, 23 जुलाई| सावन आते ही मिथिला के सैकड़ों कांवड़िये इस साल पहली बार सिर पर पाग पहनकर सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर बाबा वैद्यनाथ का अभिषेक करने के लिए पैदल देवघर के लिए चल पड़े हैं। वे ‘बोल-बम’ कहते हुए 105 किलोमीटर की पदयात्रा पूरी कर रहे हैं। सिर पर मिथिला का प्रतीक ‘पाग’ और कंधे पर सजे-धजे कांवड़, कांवड़ में गंगाजल, मन में बारह ज्योतिर्लिगों में से एक रावणेश्वर बाबा वैद्यनाथ की छवि और चहुंओर गूंजता बोल-बम का उद्घोष! श्रद्धालुओं को ऐसा दृश्य पहली बार देखने को मिल रहा है।
सीता की जन्मभूमि मिथिला के गांव-गांव से चले इन कांवड़ियों को ‘पाग कांवड़िया’ नाम दिया गया है। मिथिला के लोग यूं तो अपने घर में पाग रखते ही हैं, लेकिन जिन कावड़िये के पास पाग नहीं है, उन्हें पाग मुहैया करा रही है दिल्ली की संस्था मिथिलालोक फाउंडेशन।
पाग कांवड़िये इस बार भगवान शिव से मिथिला पर विशेष कृपादृष्टि रखने की याचना करेंगे, ताकि उपेक्षित मिथिला में खुशहाली आए।
कहा जाता है कि सदियों पहले भगवान शंकर उगना के अवतार में महाकवि विद्यापति के घर उनका सेवक बनकर आए थे। मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले में पंडौल के पास भवानीपुर में आज भी उगना मंदिर विद्यमान है। यहां भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ी उमड़ती है।
बिहार के राजस्व मंत्री डॉ. मदन मोहन झा ने 19 जुलाई को स्वयं पाग पहनकर सुल्तानगंज में श्रावणी मेला का शुभारंभ किया था। इसके बाद से हर रोज पाग कांवड़ियों के जत्थे बाबाधाम पहुंच रहे हैं।
मिथिलालोक फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं ‘पाग बचाउ’ अभियान के प्रणेता डॉ. बीरबल झा ने कहा कि ‘पाग कांवड़िया सेवा दल’ सुल्तानगंज के अलावा कई अन्य जगहों पर कांवड़ियों की सेवा व उन्हें पाग उपलब्ध कराने के लिए तैनात हैं।
‘पाग कांवड़िया’ नाम से गीतों का एक वीडियो आजकल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। श्रद्धालुओं के अलावा नई पीढ़ी के युवक-युवतियां भी इसे बड़े चाव से सुनते हैं। इस वीडियो के गीत डॉ. बीरबल झा ने लिखे हैं और स्वर एवं संगीत मिथिलालोक फाउंडेशन के ब्रांड एम्बेसडर एवं सुप्रसिद्ध गायक विकास झा ने दिया है।
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