नई दिल्ली, 11 अप्रैल (जनसमा)। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ के तहत पिछले सप्ताह ( 4 से 10 अप्रैल, 2016 तक) 105 गांवों का विद्युतीकरण किया गया। जिन गांवों में बिजली पहुंचाई गई, उनमें ओडिशा के 9, झारखंड के 7, उत्तर प्रदेश के 14, अरुणाचल प्रदेश के 8, बिहार के 10, असम के 38, छत्तीसगढ़ के 4, मध्य प्रदेश के 6, राजस्थान के 9 गांव शामिल है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर देश के नाम अपने संबोधन में कहा था कि भारत सरकार उन 18452 गांवों में 1000 दिनों में यानी 1 मई, 2018 तक बिजली पहुंचा देगी, जो इस सुविधा से अभी वंचित हैं। इसके बाद इस परियोजना को मिशन मोड में डाल दिया गया। इसके तहत विद्युतीकरण की प्रक्रिया को घटा कर 12 महीने का कर दिया गया और इसकी निगरानी के लिए निर्धारित समयावधि के साथ इसे 12 मील के पत्थरों में विभाजित कर दिया गया।
अब तक 7233 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है। बचे 10778 गांवों में से 7266 गांवों में ग्रिड के जरिये बिजली पहुंचाई जानी है। 3074 गांवों में ऑफ ग्रिड बिजली पहुंचेगी यानी वहां ग्रिड से बिजली पहुंचाना संभव नहीं है। भौगोलिक अड़चनों की वजह से वहां ग्रिड के जरिये बिजली पहुंचाना संभव नहीं है। 438 गांवों में बिजली राज्य सरकार अपने आप पहुंचाएंगी।
अप्रैल, 2015 से लेकर 14 अगस्त 2015 तक 1654 गांवों में बिजली पहुंचाई गई थी। लेकिन सरकार की ओर से पहल करने और इसे मिशन मोड में अपनाने के बाद 15 अगस्त 2015 से लेकर 10 अप्रैल, 2016 तक 5579 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। इस अभियान को तेज करने के लिए ग्रामीण विद्युत अभियंता (जीवीए) की ओर से इस पर नजदीकी निगरानी रखी जा रही है।
इसके तहत कई कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें इस प्रक्रिया की नियमित समीक्षा और आरपीएम बैठकों में इसकी महीनेवार समीक्षा शामिल है। राज्य डिस्कॉम की ओर से जिन गांवों में बिजली पहुंचाई जा रही है उनकी सूची भी साझा की जा रही है। इस प्रक्रिया में जो गांव पीछे रह गए हैं उनकी पहचान भी की जा रही है।
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