नई दिल्ली 15 अक्टूबर। मुंबई सहित पूरे कोंकण तट पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
तेज हवाओं और लगातार बारिश के साथ रात भर गरज के साथ मुंबई में 10 साल में अक्टूबर में 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश हुई।
मुंबई में बारिश के कारण जहाँ जनजीवन अस्त-व्यस्त रहा वहीं धान की फसलों, केले, पपीते के पेड़ों और बागों और ड्रमस्टिक पेड़ों और बागवानी फसलों को नुकसान हुआ है और अगले दो दिनों में स्थिति कमोबेश ऐसी ही बनी रहेगी। ।
कोंकण और गोवा के अधिकांश स्थानों पर भारी से अत्यधिक भारी और कुछ स्थानों पर भारी वर्षा (>20 सेमी प्रति दिन) होने की संभावना है औऱ तटीय कर्नाटक के अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
मध्य महाराष्ट्र दक्षिण गुजरात क्षेत्र में अलग-थलग स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
मौसम विभाग ने कहा है कि गुरुवार को मुंबई सहित पूरे कोंकण तट पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।
इमेज मौसम विभाग के सौजन्य से
(ii) तेज हवा की चेतावनी
सिस्टम सेंटर के आसपास और मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा और उससे सटे उत्तर आंतरिक कर्नाटक में अगले 12 घंटों के दौरान 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है और बाद में इसकी रफ्तार 50 किलोमीटर प्रतिघंटे तक होने की संभावना है।
15 अक्टूबर की सुबह से महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के तटों के पर से बढ़कर 40-50 किमी प्रति घंटा 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है।
16 अक्टूबर की शाम यह धीरे-धीरे 45-55 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़कर 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पूर्व-पूर्वी और उससे सटे उत्तर-पूर्व अरब सागर और महाराष्ट्र तथा गुजरात के तटों की तरफ बढ़ जाएगी।
(iii) समुद्र की स्थिति
पूर्वी और पूर्वी उत्तरपूर्व अरब सागर से सटे और महाराष्ट्र और गुजरात के तटों पर 16 अक्टूबर को समुद्र में तेज और ऊंची लहरें उठने की संभावना है।
(iv) मछुआरों को चेतावनी
मछुआरों को सलाह दी जाती है कि16 अक्टूबर और उसके बाद आने वाले 3 दिनों के दौरान महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के तटों और पूर्वी तथा निकटवर्ती अरब सागर से सटे समुद्री तटों पर ना जाएं।
(v) कर्नाटक और महाराष्ट्र पर नुकसान की आशंका
धान की फसलों, केले, पपीते के पेड़ों और बागों और ड्रमस्टिक पेड़ों और बागवानी फसलों को नुकसान। भारी बारिश के कारण कच्चे तटबंधों को मामूली क्षति। निचले इलाकों में बाढ़ / जल जमाव, जमीनी परिवहन में व्यवधान, भूस्खलन, जल जमाव आदि। इसके अलावा सड़कें गीली और फिसलन भरी हो सकती हैं। भारी बारिश के कारण जलभराव की समस्या आ सकती है।
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