‘मुद्रा’ को रिज़र्व बैंक के चंगुल से मुक्त किया जाए: कैट

नई दिल्ली, 10 जनवरी। कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से आग्रह किया है कि संसद में एक कानून तुरंत लाया जाए और मुद्रा को रिज़र्व बैंक के चंगुल से मुक्त किया जाए जिससे जिन वर्गों को क़र्ज़ देने के लिए मुद्रा बनाया गया है वो पहले से ही स्थापित अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से इसका सही लाभ उठा सकें।

कैट ने कहा कि यह कदम सही मायनों में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंशा के अनुरूप होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘जिनको क़र्ज़ नहीं मिलता है उनको क़र्ज़ देने के लिए” शुरू किये गए मुद्रा के दृष्टिकोण को पूरा करेगा। कैट ने कहा कि देश में छोटे व्यवसायियों को वित्तीय मदद देने में रिज़र्व बैंक पूरी तरह नाकाम साबित हुआ है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा कि क्योंकि देश में गैर संगठित क्षेत्र के कुल 4 % हिस्से को ही बैंकों से क़र्ज़ मिल पाता था इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट रीफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) का गठन किया जिसके द्वारा पहले से ही वित्तीय क्षेत्र में काम कर रहे वित्तीय संस्थानों की मदद से उन सभी लोगों को क़र्ज़ उपलब्ध कराया जाए जिनको क़र्ज़मिल ही नहीं पाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुद्रा को छोटे व्यवसायियों के लिए लांच करना एक बड़ा ऐतिहासिक कदम है जो गत 68 वर्षों में पहली बार किसी सरकार ने उठाया है और जिसकी मूल कल्पना में ऐसे सभी वित्तीय संस्थानों को मुद्रा से जोड़ना था जो पहले से ही नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर को वित्तीय क़र्ज़ दे रहे हैं लेकिन किन्ही कारणों से मुद्रा क़र्ज़ को बैंकों के द्वारा वितरित किया जा रहा है और बैंकों के पहले से तय मानदंडों के कारण सही व्यक्ति जिसके लिए मुद्रा बनाया गया है, को मुद्रा क़र्ज़ लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

भरतिया एवं खण्डेलवाल ने मुद्रा के लिए पृथक कानून बनाने में हो रही देरी पर क्षोभ व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग चार महीने पहले मुद्रा के प्रस्तावित कानून का मसौदा सरकार द्वारा गठित एक कोरग्रुप में वितरित किया गया था और जिसमें अनेक संशोधन दिए गए थे लेकिन उसके बाद से उस कोर ग्रुप की दूसरी मीटिंग ही नहीं हुई है जिससे देश भर के व्यापारियों में मुद्रा के भविष्य को लेकर चिंता है।

मुद्रा की मूल कल्पना में मुद्रा को एक स्वतंत्र नियामक बनाते हुए वित्तीय क्षेत्र में काम कर रहे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीटूशन, ट्रस्ट, सोसाइटी को मुद्रा की परिधि में लाकर और मुद्रा द्वारा उन्हें रीफाइनेंस करते हुए उनके द्वारा अंतिम व्यक्ति तक क़र्ज़ उपलब्ध कराने की योजना बनी थी लेकिन किन्ही भी कारणों से उन्हें दरकिनार करते हुए बैंकों के माध्यम से मुद्रा योजना चलायी जा रही है।

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि नॉन कॉर्पोरेट सेक्टर में लगे 6 करोड़ छोटे व्यवसायियों को आसान क़र्ज़ उपलब्ध कराने से देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और जीडीपी में भी बड़ी वृद्धि होगी।

ज्ञातव्य है कि कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स के नेतृत्व में देश के लगभग 70 राष्ट्रीय संगठनों द्वारा गठित एक्शन कमेटी फॉर फॉर्मल फाइनेंस फॉर नॉन कॉर्पोरेट स्माल बिज़नेस ने मुद्रा के गठन को लेकरदेश भर में एक व्यापक राष्ट्रीय अभियान चलाया था।