रीतू तोमर===
नई दिल्ली, 8 अगस्त | उत्तर प्रदेश सहित अन्य चार राज्यों में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, दलितों को लेकर राजनीति उतनी ही तेज होती जा रही है। गुजरात में दलित युवकों की पिटाई पर इतना बवाल हुआ कि देर से ही सही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इसकी कड़ी निंदा करनी पड़ी। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी भी मानती हैं कि मरे पशुओं की खाल निकालना अपराध नहीं है।
मीनाक्षी लेखी ने आईएएनएस से कहा कि गुजरात के ऊना में गायों की खाल निकालने के आरोप में दलित युवकों की पिटाई दुखद है, इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की प्रवक्ता मीनाक्षी ने कहा, “माना कि गौहत्या अपराध है, लेकिन स्वाभाविक रूप से मर चुके पशुओं की खाल निकालना कोई अपराध नहीं है।”
उन्होंने साथ ही विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि विपक्ष ने दलितों पर अत्याचार और गौहत्या को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा की थी, जो प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण के बाद साफ हो गई है।
मीनाक्षी ने कहा कि कुछ पार्टियां स्वयं को दलितों का मसीहा मानती हैं, लेकिन इस वर्ग के उत्थान के लिए आज तक कुछ नहीं हुआ। विपक्ष की कथनी और करनी में फर्क है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस जब केंद्र में थी तब उसने दलितों के उत्थान के लिए क्या किया?
वह कहती हैं, “भगवान विपक्षी पार्टियों को सद्बुद्धि दें। इसकी उन्हें सख्त जरूरत है। जनता विपक्ष की इस राजनीति को समझ रही है।”
अमूमन, देश में दलितों को वोट बैंक के रूप में देखा जाता रहा है। उत्तर प्रदेश में दलितों के मुद्दे पर सर्वाधिक राजनीति होती रही है। उत्तर प्रदेश और पंजाब में दलितों का मत प्रतिशत बहुत मायने रखने वाला है बावजूद इसके इन राज्यों में दलितों के विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
इस मुद्दे पर सांसद मीनाक्षी कहती हैं, “अब तक दलितों को ठगा जाता रहा है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में यह वंचित वर्ग अपनी ताकत दिखाने जा रहा है। भाजपा पिछड़े वर्गो की हितैषी पार्टी रही है और मौका मिलने पर इस वर्ग को मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा।” –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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