नई दिल्ली, 26 सितम्बर | अलग-अलग क्षेत्रों की करीब 20 संस्थाओं को सोमवार को इंफी मेकर्स पुरस्कार से नवाजा गया। ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए सॉफ्टवेयर क्षेत्र की प्रमुख कंपनी इंफोसिस फाउंडेशन ने यह पुरस्कार प्रदान किया है। फाउंडेशन ने एक बयान जारी कर कहा, “इन्फीमेकर अवार्ड मेक इन इंडिया के सिद्धांत को बढ़ावा देने के लिए इन्फोसिस की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। ये पुरस्कार उन लोगों को सम्मानित करते हैं, जो रियल वल्र्ड की समस्याओं के लिए रचनात्मक समाधान विकसित करने में रुचि रखते हैं या जिनमें जिंदगी को आसान बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का प्रयोग करने की योग्यता हो। ये अवार्डस सबसे पहले इन्फोसिस फाउंडेशन, यूएसए के द्वारा अमेरिका में राष्ट्रपति ओबामा के नेशन ऑफ मेकर्स अभियान की मदद से जून, 2015 में लॉन्च किए गए।”
इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रवीण राव ने कहा, “भारत में इन्फी मेकर अवार्डस का लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को सम्मानित करना और अगली पीढ़ी के विचारकों की रचनात्मकता और कल्पनाशक्ति का विकास करना है। हमारा मानना है कि ये अवार्डस मेक इन इंडिया की भावना और रचनात्मकता के साथ उत्कृष्टता को बढ़ावा देंगे। इन अवार्डस के द्वारा हमारा लक्ष्य अग्रगामी सोच वाले निर्माताओं के विकास का परिवेश निर्मित करना है। इन्फोसिस, भारत में विभिन्न समुदायों और संस्थानों में इस तरह के निर्माताओं को पुरस्कृत करके सशक्त बनाना चाहती है।”
इन्फोसिस फाउंडेशन, यूएसए की अध्यक्ष वंदना सिक्का ने कहा, “हमारा मानना है कि यह अभियान भारत में निर्माता समुदाय में विचारशीलता को जन्म देगा, उत्सुकता को बढ़ावा देगा और रचनात्मकता की भावना का विकास करेगा। यूएस में इस अवार्ड प्रोग्राम के सफल होने के बाद भारत में इन्फी मेकर अवार्ड विशाल वैश्विक समुदाय को अपना योगदान देने एवं अगली पीढ़ी के निर्माताओं को प्रेरित करने की हमारी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करता है। भविष्य को हमेशा उन लोगों ने आकार दिया है, जो निर्माण करते हैं।”
फाइल फोटो : बॉयोकॉन लिमिटेड चेयरमैन एंड एमडी डॉ. किरण मजूमदार शॉ ==आईएएनएस
भारत के पहले संस्करण में 280 से अधिक प्रविष्टियों एवं 2500 से अधिक नामांकनों में से 20 विजेताओं को चुना गया। विजेताओं का चयन प्रतिष्ठित निर्णायकों द्वारा किया गया, जिनमें प्रौद्योगिकी, एकेडेमिक एवं बिजनेस समुदाय की गणमान्य हस्तियां शामिल थीं। निर्णायकों में किरण मजूमदार शॉ (चेयरपर्सन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर, बायोकॉन), रमा बीजापुरकर (लेखिका), मोहनदास पई (चेयरमैन, आरिन कैपिटल पार्टनर्स) एवं प्रवीण राव (चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, इन्फोसिस) शामिल थे।
इंफी पुरस्कार के 20 विजेताओं में से प्रत्येक को पांच लाख रुपये का पुरस्कार, एक ट्रॉफी और एक सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा।
सामाजिक बदलाव की श्रेणी में यह पुरस्कार असिस्टयू के सौरभ अलगुंडगी, संदीप पाटील एवं श्रेया गुदासलामणि को दिया गया। असिस्टयू कानों से कम सुनने वालों से बात करने के लिए एक कम्युनिकेटिव ग्लोव सॉल्यूशन है।
सायकल रिक्शा के पेडल चलाना आसान और सुरक्षित बनाने के लिए रिजनरेटिव ब्रेक का पुरस्कार संजीव अर्जुन गौड़ को दिया गया।
क्षैतिज एवं ऊध्र्वाधर दिशा में चलने के लिए मल्टी-फंक्शनल एलिवेटर के लिए वुप्परी कल्याणी को यह पुरस्कार मिला।
इलमपोथिगई के., विग्नेश वी., आनंद गोपी एवं इब्राहिम अहमद हसन अवाद को लाईनमैन की सुरक्षा एवं संचार सुनिश्चित करने के लिए आरएएसएस डिवाईस बनाने के लिए पुरस्कार मिला।
मछुआरों के लिए समुद्री सीमा का वानिर्ंग सिस्टम तैयार करने के लिए अरविंद एस., बालाजी वी. एवं अरविंद जी. को पुरस्कृत किया गया।
कचरे की मात्रा मापने के लिए पब्लिक ओवर डंप लिमिटर सेंसर सेल्फी इनोवेटर्स के लिए अरुण कुमार एस. एवं विष्णुप्रिया एस. को, भीड़ भरे इलाकों में पार्किं ग आसान बनाने के लिए इन्विजिबल बस बे के लिए चेतन प्रसाद को, पानी के संरक्षण के लिए शॉवर का अधिक स्मार्ट तरीका ‘शोर’ विकसित करने के लिए आकाश गोयल को, पंक्च र खुद तलाशने और ठीक करने की बीपीपीसी प्रौद्योगिकी ‘टाईकीजुनो’ के लिए समीर पांडा, डॉ. के. एन. पांडा, स्मृतिपर्ण सत्पति एवं जयंत प्रधान को यह पुरस्कार मिला।
लाईट फाईडेलिटी (लाई-फाई) का प्रयोग करके हार्टबीट मॉनिटरिंग सिस्टम बनाने के लिए दीपिका गिरी, वी. कृष्ण कुमार, कविता सौन्दराराजन एवं एल. जमुना को, उन गर्भवती ग्रामीण महिलाओं, जिन्हें स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं, के लिए क्लिनिक-इन-बॉक्स के निर्माण के लिए शांतनु पाठक एवं आदित्य कुलकर्णी को, स्ट्रोक के मरीजों और फिजियोथेरेपी की जरूरतों के लिए आर्डुअस थेरेपिस्ट के निर्माण के लिए सी. कॉर्निलियस दुरई, टी. डेविड थेवाराम एवं एस. साईराम को, ऑस्टिक लोगों को संचार करने में मदद करने के लिए वीटॉक सॉल्यूशन के निर्माता अभिनव शेखर वशिष्ठ को, काम करने के सही पोस्चर के बारे में सावधान करने के लिए पोस्चर प्रॉक्टर ‘सीटएबी’ के लिए डॉ. लोवी राज गुप्ता, कुणाल पांचाल, येरा प्रसांति, सतीश रेड्डी एवं विशाखा चौधरी को, फिजियोथेरेपी सही दिशा में चल रही है, यह सुनिश्चत करने के लिए फिजियो के निर्माण के लिए वीरपाल शर्मा, दिव्यांशु वाष्र्णेय एवं रूपम शर्मा को यह पुरस्कार मिला।
लो कॉस्ट विंड टर्बाईन बनाने के लिए कृष्णानंद वेंकटसुब्रह्मण्यम एवं सेंथिलवेल एस. को, दोपहिया वाहनों के लिए ‘मून सेफ्टी सिस्टम’ बनाने के लिए कन्नाबीरन एस., गोकुल श्रीनाथ वी. एवं बूबालन बी. को, पानी का ओवरफ्लो रोकने के लिए वेदरप्रूफ लिक्विड लेवल स्विच एवं इंडीकेटर बनाने के लिए नागार्जुन पटूरी को, किसी खेत के लिए सिंचाई की आवश्यकता जानने हेतु और ट्यूबवेल से पानी की आपूर्ति के लिए कंट्रोल मैकेनिज्म का समाधान ‘फर्मेडिसियस’ को विकसित करने के लिए सुभाजीत बिस्वास, नितिन राजू डी. और नितेश कुमार को, ²ष्टिबाधितों के लिए वॉकिंग स्टिक बनाने के लिए अभिषेक मतलोटिया को यह पुरस्कार मिला। –आईएएनएस
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