मेवाड़ की वादियों में सामूहिक श्रमदान का आयोजन

जयपुर, 4 फरवरी। राजस्थान में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत उदयपुर जिले में निरन्तर जारी जल संरक्षण गतिविधियों की श्रृंखला में गुरुवार का दिन खास रहा जब मेवाड़ की वादियों में सामूहिक श्रमदान के आयोजन ने विशाल ग्राम्य उत्सव का स्वरूप पा लिया।

जल भण्डारों को आबाद करने की मुहिम के अन्तर्गत मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत उदयपुर जिले की गिर्वा पंचायत समिति अन्तर्गत बाँरा ग्राम पंचायत में पहाडिय़ों के बीच अवस्थित बाँरा तालाब को आबाद करने का अभियान हुआ।

इसमें पुलिस प्रशासन ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और इस काम को पूरा करने का संकल्प लेते हुए पुलिस महानिरीक्षक आनंद श्रीवास्तव के नेतृत्व में पुलिस के सवा सौ से अधिक जवानों और महिला पुलिस के समूह ने दमखम दिखाया।

इसमें ग्रामीण स्त्री-पुरुषों की उत्साहजनक भागीदारी रही वहीं जिला कलक्टर रोहित गुप्ता, जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविचल चतुर्वेदी, उपखण्ड अधिकारी नम्रता वृष्णि, पुलिस उप अधीक्षक रानू शर्मा व नारायण सिंह, विकास अधिकारी अजय कुमार आर्य, एसएचओ परसाद भरत योगी, आरआई अब्दुल रहमान सहित पुलिस, जिला प्रशासन एवं गिर्वा पंचायत समिति के अधिकारियों एवं कार्मिकों ने हाथों में गैंती-फावड़े व तगारे लेकर सामूहिक श्रमदान किया।

क्षेत्रवासी लम्बे समय से चाह रहे थे कि उनके गांव का यह तालाब फिर से आबाद हो जाए ताकि बरसाती पानी लम्बे समय तक ठहरा रहे और ग्रामीणों तथा मवेशियों के लिए पेयजल, सिंचाई आदि गतिविधियों के उपयोग में आता रहे।

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान इन ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हुआ जबकि इस अभियान के अन्तर्गत पुलिस प्रशासन ने इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया और पुलिस के जवानों ने श्रमदान की शुरूआत की। पुलिस इस काम को जिला प्रशासन एवं ग्रामीणों के सहयोग से बरसात से पहले पूरा करेगी।

अपने गाँवाई तालाब का पुराना वैभव लौटाने के लिए शुरू किए गए इस अभियान से क्षेत्र भर के ग्रामीणों में खुशी का माहौल पसरा हुआ है। यही वजह है कि बड़ी संख्या में ग्रामीण स्त्री-पुरुषों ने भी तालाब पहुंच कर श्रमदान किया। इस सामूहिक श्रमदान के पहले ही दिन ने नजारा बदल दिया।

ग्रामीणों को विश्वास है कि आगामी बरसात से पहले यह गहरा होने से पूरा पानी भरेगा। सिंचाई से खेती-बाड़ी और पशुपालन को संबल मिलेगा, पेयजल समस्या दूर होगी। भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा।