भोपाल, 20 अक्टूबर | जनता दल (यूनाइटेड) में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाने के कारण पार्टी से निष्कासित मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद से हटाए गए गोविंद यादव ने पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है।
उन्होंने कहा, “देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह भाजपा के आंतरिक लोकतंत्र को खत्म कर दिया, ठीक उसी तर्ज पर नीतीश कुमार जद (यू) में आंतरिक लोकतंत्र को खत्म करने में लगे हैं।”
आंतरिक लोकतंत्र बचाओ आंदोलन की शुरुआत करने वाले यादव ने बुधवार को दूरभाष पर आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि जद (यू) का अपना संविधान है, उसकी अवहेलना नहीं की जा सकती, मगर पार्टी का अध्यक्ष बनने के लिए नीतीश कुमार ने उन सारे नियम व दिशा निर्देशों को ताक पर रख दिया, जिसकी वे अब तक दुहाई देते आए हैं।
यादव ने जदयू की चुनाव प्रक्रिया का हवाला देते हुए बताया कि 27 जनवरी 2016 को चुनाव कार्यक्रम जारी किया गया था। इसके मुताबिक 28 जून 2016 तक विभिन्न स्तरों पर संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया पूर्ण होनी थी। इसी बीच शरद यादव ने पार्टी का चौथी बार अध्यक्ष न बनने की इच्छा जताई तो 10 अप्रैल को नीतीश कुमार को जद (यू) का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित किया गया जो पार्टी के संविधान और नियम की धारा-19 (छह) के अनुसार असंवैधानिक था। पार्टी संविधान के मुताबिक कार्यवाहक अध्यक्ष तभी हो सकता है, जब अध्यक्ष की मृत्यु हो गई हो या पद से त्याग-पत्र दिया हो।
यादव का आरोप है कि नीतीश पहले गलत तरीके से अध्यक्ष बने और उसके बाद उन्होंने पार्टी के संगठनात्मक चुनाव सम्पन्न कराने हेतु दो जून 2016 को पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में अनिल हेगड़े को राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया। यह नियुक्ति भी जद (यू) के संविधान की धारा-19 (एक) के अनुसार असंवैधानिक है।
चुनाव प्रक्रिया में हुई गड़बडी का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि राज्यों और जिलों में निर्वाचन प्रक्रिया 15 सितंबर तक पूरी कराना था, मगर सभी राज्यों में ऐसा नहीं हुआ। पार्टी की ही बात मान लें तो पांच राज्यों में ही चुनाव प्रक्रिया पूरी हुई। इनमें जम्मू एवं कश्मीर भी है, जहां तीन माह से कर्फ्यू चल रहा है। इसके बावजूद राष्ट्रीय कार्यकारिणी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
यादव ने कहा कि अगर सभी राज्यों में चुनाव प्रक्रिया पूरी होती तो उसके बाद 1200 से ज्यादा नेशनल काउंसिल के सदस्य चुने जाते। पार्टी का संविधान कहता है कि नेशनल काउंसिल के 10 सदस्यों के समर्थन पर अध्यक्ष का चुनाव लड़ा जा सकता है। नीतीश को इस बात का डर था कि कहीं दूसरा व्यक्ति अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए मैदान में न आए जाए, इसे रोकने के लिए असंवैधानिक तरीके अपनाए गए।
पार्टी के खिलाफ सड़क पर आकर आंतरिक लोकतंत्र बचाओ आंदोलन चलाने के सवाल पर यादव ने कहा कि वे बीते छह माह से पार्टी के विभिन्न मंचों पर यह बात उठाते रहे, जब बात नहीं सुनी गई तो वे मीडिया के पास गए। इसकी उन्हें सजा निष्कासन के तौर पर मिली।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों जद (यू) चार राज्यों के अध्यक्षों दिल्ली के ठाकुर बलवीर सिंह, पश्चिम बंगाल के अमिताभ दत्ता, उत्तराखंड के प्रमोद शर्मा और मध्य प्रदेश के गोविंद यादव को छह साल के लिए निष्कासित किया गया।
यादव का कहना है कि भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंतरिक लोकतंत्र को दबाने में कोई कसर नहीं छेाड़ी है, वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना दिया है, ठीक इसी तरह नीतीश कुमार जद (यू) में अपना कब्जा कर उन सारे लोगों को बाहर करना चाहते हैं जो आंतरिक लोकतंत्र की बात करेगा। वे पिछले डेढ़ दशक से यही सब बिहार में करते आए हैं और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर पूरे देश में यही करना चाहते हैं।
संदीप पौराणिक===
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