पणजी, 6 जुलाई | रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि उन्होंने उन्हें पदोन्नति देकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर टाल-मटोल करने की कोशिश की थी। उन्हें प्रस्ताव पर निर्णय लेने में दो सप्ताह लगे। पर्रिकर ने यहां मंगलवार देर शाम कहा, “मैं 26 अक्टूबर को गोवा खनन मुद्दे पर विचार-विमर्श करने और राज्य के लिए कुछ वित्तीय मदद की दरख्वास्त लेकर मोदी से मिलने गया था। उन्होंने कहा कि हम वह सब करेंगे, लेकिन उन्होंने मुझे यह भी कहा कि ‘आप केंद्रीय कैबिनेट में शामिल क्यों नहीं हो जाते?’ यह मुझ पर बम गिराए जाने जैसा था।”
गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री पर्रिकर ने यह बात राजधानी पणजी में गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पारसेकर के 60वें जन्मदिन के जश्न के मौके पर कही।
उन्होंने कहा, “मैंने कहा कि मैं इस बारे में सोचूंगा और अपना पिंड छुड़ाया। मैंने तय कर लिया था कि मैं अगले दो-तीन महीने तक दिल्ली नहीं लौटूंगा। मुझे चार-पांच दिनों में दोबारा एक रिमाइंडर भेजा गया।”
पर्रिकर ने रक्षा मंत्री बनने के अपने सफर के बारे में कहा, “आखिरकार छह नवंबर को निर्णय लिया गया और मैंने आठ नवंबर को अपना इस्तीफा सौंप दिया।”
पर्रिकर को मोदी के प्रधानमंत्री बनने के कुछ माह बाद नवंबर 2014 में पदोन्नति देकर रक्षा मंत्री बना दिया गया।
देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक करियर के लिहाज से गोवा बेहद भाग्यशाली रहा है। पर्रिकर ने यहां कहा, “मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला भी गोवा में ही लिया गया था। मुझे याद है कि इसी हॉल में यह फैसला हुआ था। हम सभी यहीं बैठे थे, जब राजनाथ सिंह (केंद्रीय गृह मंत्री) ने इसकी घोषणा की थी और सभी ने इसे उत्साहपूर्वक गर्मजोशी से स्वीकार किया था।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि मोदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की पहली घोषणा भी गोवा में ही की गई थी। यह एक सकारात्मक निर्णय था। मैं गुजरात चुनाव की बात कर रहा हूं। 1999 के चुनाव से पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गोवा में हुई थी और भाजपा ने चुनाव जीता था। यही चीज 2002 में भी हुई थी और हमने गुजरात चुनाव जीता।” —आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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