नई दिल्ली, 31 अक्टूबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के 50वीं वर्षगांठ समारोह में न्यायिक प्रणाली में समाज के निचले तबके के लोगों को शामिल करने का आह्वान किया। मोदी ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के पक्ष में भी बात उठाई।
उन्होंने कहा, “अखिल भारतीय न्यायिक सेवा पर बहस हो रही है और यह विवाद में घिरी हुई है। लेकिन, लोकतंत्र में तर्क और चर्चा लोकतंत्र का हिस्सा होते हैं।”
उन्होंने कहा, “विचार-विमर्श होना चाहिए, बहस होनी चाहिए। सरकार इसमें ज्यादा योगदान नहीं दे सकती। हमारे योगदान से इसमें ज्यादा मदद भी नहीं मिलेगी, यहां बैठे लोग ही वे लोग हैं जो इसमें योगदान कर सकते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “क्या दलित, दबे-कुचले, शोषित, गरीब जो समाज के निचले स्तर से आते हैं, क्या वे इस प्रणाली में शामिल किए जा सकते हैं? हमें एक नई प्रणाली विकसित करने की जरूरत है जिसमें वे भी शामिल किए जा सकें।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास 50 सालों का अनुभव है। इस अनुभव के इस्तेमाल से क्या हम एक रास्ता विकसित कर सकते हैं? हमें सामूहिक रूप से आगे के लिए रास्ता बनाना होगा। “
मोदी ने कहा, “समाधान हैं, समाधान के रास्तों को खोजा जाना चाहिए। बदलाव सिर्फ तभी संभव है।”
–आईएएनएस
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