अयोध्या, 21 जुलाई (हि.स.)। राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के भूमि पूजन में सप्त पुरियों, चारों धाम की पवित्र नदियों के जल के साथ प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के जल का उपयोग किया जाएगा।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गंगा-यमुना और अन्त:सलीला सरस्वती के संगम का जल लाने की ज़िम्मेदारी मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले संगठन विश्व हिन्दू परिषद (वीएचपी) को दिया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी 05 अगस्त को राम जन्मभूमि पर राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए भूमि पूजन कर शुभारम्भ करेंगे।
राममंदिर (Ram Mandir) के भूमिपूजन की तारीख तय होते ही अयोध्या में तैयारियां भी जोर शोर से शुरू हो गई हैं।
पांच अगस्त को होने वाले भूमिपूजन के अनुष्ठान में अयोध्या सहित मथुरा, काशी, कांची, उज्जैन, हरिद्वार, द्वारिका जैसे सप्तपुरियों और चारों धाम की मिट्टी के साथ सरयू सहित गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम और नर्मदा आदि देश की पवित्र नदियों का जल लाया जायेगा।
मंगलवार को हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में रामलला के दरबार में अनुष्ठान कराने वाले आचार्य इंद्रदेव ने बताया कि मानना है कि अलग-अलग धामों और तीर्थों में न जाकर केवल नेपाल के प्रख्यात तीर्थ क्षेत्र स्वर्गद्वार की मिट्टी अनुष्ठान के लिए लायी जाय।
मान्यता है कि वहां की मिट्टी में सभी धामों और तीर्थों की मिट्टियों का समावेश है। इसलिए अगर केवल वहां कि मिट्टी को भूमिपूजन के अनुष्ठान के लिए लाया जाएगा तो वह भी बराबर ही फलकारी होगी।
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