बेनॉलिम (गोवा), 16 अक्टूबर | भारत ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संयोगवश हुई मुलाकात को तीनों नेताओं के बीच त्रिपक्षीय आदान-प्रदान मानने से इनकार किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों नेताओं का मिलना महज एक संयोग था। वे जब दक्षिण गोवा के रिसार्ट में आयोजित अनौपचारिक भोज के लिए जा रहे थे तो उनका आमना-सामना हो गया था।
उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से एक संयोग था कि तीनों नेता एक ही समय लाउंज में मौजूद थे। चीन और नेपाल के बीच द्विपक्षीय बातचीत पहले ही समाप्त हो चुकी थी। इसलिए मैं नहीं जानता कि किस आधार पर लोग इसे त्रिपक्षीय और ये सब कह रहे हैं। यह पूरी तरह से कहीं जाने से पूर्व नेताओ का एक जगह जुटना भर था। इसलिए मैं नहीं समझता कि आपको इसमें बहुत कुछ देखने की जरूरत है।”
स्वरूप ने कहा कि राष्ट्रपति शी पहले से ही लाउंज में थे। वह अपने होटल जाने के लिए अपने वाहनों के काफिले का इंतजार कर रहे थे। तभी प्रचंड वहां पहुंचे और दोनों में बातचीत हुई।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को वहां इसलिए रहना था क्योंकि उन्हें नेताओं के साथ जाना था और तीनों साथ में गुंबद की तरफ गए। इसलिए यह पूरी तरह से एक संयोग है कि तीनों नेता लाउंज में एक ही समय में मौजूद थे।”
तीनों की मुलाकात की तस्वीर प्रचंड के बेटे प्रकाश दहल ने फेसबुक पर अपलोड की है। इससे मीडिया में ये अटकलें लगाई जाने लगीं कि तीनों नेताओं के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई है।
लेकिन, नेपाल ने कहा है कि भारत और चीन त्रिपक्षीय सहयोग पर सकारात्मक लगते हैं। ब्रिक्स सम्मेलन से इतर मोदी और शी के साथ ‘त्रिपक्षीय बैठक’ में प्रचंड ने इस आशय का प्रस्ताव रखा था।
काठामांडू स्थित प्रचंड के सचिवालय ने एक बयान जारी कर रहा है कि प्रचंड ने आधिकारिक रूप से नेपाल,भारत और चीन के बीच शनिवार की शाम हुई एक बैठक में त्रिपक्षीय सहयोग का प्रस्ताव पेश किया था।
उसमें दावा किया गया है कि इस प्रस्ताव का चीन और भारत, दोनों ने स्वागत किया।
इस ‘त्रिपक्षीय बैठक’ के दौरान प्रचंड ने स्मरण दिलाया कि इससे पहले के कार्यकाल में उन्होंने नेपाल, चीन और भारत के बीच त्रिपक्षीय रणनीतिक साझीदारी पर जोर दिया था।
बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी ने कहा कि नेपाल, भारत और चीन के बीच सेतु का काम कर सकेगा और किसी भी देश देश का भूगोल विकास जैसी कई चीजों में निर्णायक भूमिका नहीं निभाएगा।
उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि तीनों पड़ोसी देशों के रिश्ते भविष्य में और मजबूत होंगे।
बयान में कहा गया है कि शी की ही तरह मोदी ने त्रिपक्षीय सहयोग के विचार का स्वागत करते हुए भारत, नेपाल और चीन के बीच भौगोलिक, भावनात्मक एवं सांस्कृतिक संबंध को स्वीकार किया।
–आईएएनएस
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