अलीगढ़, 6 जुलाई | राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के रोजा इफ्तार में भाग लेकर निशाने पर आए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कुलपति जमीरउद्दीन शाह ने कहा है कि लोगों को यह वास्तविकता स्वीकार कर लेनी चाहिए कि मोदी ने मुसलमानों को अपना लिया है और इसकी अनदेखी मुसलमानों के लिए नुकसानदायक साबित होगी। जमीरउद्दीन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा, “लोगों को भी वास्तविकता स्वीकार करनी चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुसलमानों को अपना लिया है। ये अनदेखी भी नहीं की जा सकती कि उनके नेतृत्व में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रभाव बढ़ा है।”
फोटो : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का एक प्रतिनिधिमंडल कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीर उद्दीन शाह के नेतृत्व में 5 मार्च, 2016 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करते हुए।
कुलपति ने कहा है कि यदि मुसलमान वर्तमान सरकार की अनदेखी करेंगे तो यह उनके लिए अत्यन्त हानिकारक होगा।
शाह ने कहा, “हमें सर सैयद के विकासोन्मुख रवैए से प्रेणा हासिल करनी चाहिए। सर सैयद ने समय की नब्ज पहचान कर भारत के मुसलमानों के विकास के लिए कार्य किया था, जिसके लिए ब्रिटिश सरकार से मेल-मिलाप के आधार पर उनको बदतरीन आलोचना का सामना करना पड़ा था।”
उन्होंने कहा कि यह उन्हीं के प्रयासों का नतीजा है कि मुसलमानों ने स्वयं पर लादी हुई महरूमियत और मुख्य धारा से दूरी से बड़ी हद तक निजात प्राप्त करने में सफलता पाई। उन्हीं के प्रयास के कारण अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
जमीरउद्दीन शाह ने कहा, “यह आवश्यक है कि हम दूसरों तक यह सन्देश पहुंचाएं कि एएमयू धर्मनिर्पेक्षता, साम्प्रदायिक सौहार्द्र, समग्रता, संयम, उदारता, रवादारी और इस्लामी शिक्षा से ओतप्रोत आधुनिकता से पहचाना जाता है।”
उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति आपकी तरफ मित्रता का हाथ बढ़ाए तो आप क्या करेंगे? क्या उस हाथ को झटक देंगे?
उन्होंने कहा, “हर संगठन में मिले-जुले विभिन्न रंग पाए जाते हैं। हमें सभी समुदायों के समझदार लोगों से वार्तालाप का दरवाजा खुला रखना चाहिए और मैं यही कर रहा हूं।”
कुलपति ने कहा, “मुझे अपने निर्णय पर कोई खेद नहीं है और मैं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अनूठी पहचान की सुरक्षा के लिए अपने स्तर पर बेहतर प्रयास करता रहूंगा। अल्लाह ने चाहा तो उसमें सफलता प्राप्त होगी।”
उन्होंने कहा, “यदि फिर भी अल्लाह को स्वीकार न हो तो कम से कम हमें यह सन्तुष्टि तो रहेगी कि हमने अपने स्तर पर तमाम संभव प्रयास जारी रखे।”
जमीरउद्दीन शाह ने कहा, “जो लोग मुझे स्वार्थी और आरएसएस का एजेंट बता रहे हैं, उनको जानकारी होनी चाहिए कि जिन व्यक्तियों से विश्वविद्यालय के पक्ष में मामलात प्रभावित हो सकते हैं, हमें अपने स्वाभिमान का सौदा किए बिना उनसे वार्तालाप का दरवाजा खुला रखना चाहिए।” —आईएएनएस
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