,नई दिल्ली, 11 अक्टूबर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने शिकायत निवारण कानून को हटाकर ‘डिलीवरी ऑफ सर्विसेज एंड ग्रीवांसेज र्रिडेसल’ स्कीम लाने का फैसला किया है। लेकिन, प्रशासनिक सुधार एवं सार्वजनिक शिकायत विभाग द्वारा जुलाई 2016 में सूचना का अधिकार के तहत दी गई एक जानकारी के मुताबिक, ‘योजना को अंतिम रूप दिया जाना अभी तक विचाराधीन है।’
आरटीआई के जवाब में विभाग ने आश्चर्यजनक रूप से कहा है, “डिलीवरी ऑफ सर्विसेज एंड ग्रीवांसेज र्रिडेसल स्कीम को अंतिम रूप देने तथा सिटीजन ग्रीवांस बिल को पारित करने पर विचार किया जा रहा है।”
इस कानून से प्रत्येक नागरिक को समय-सीमा के भीतर वस्तु एवं सेवा पाने का कानूनी अधिकार मिलेगा और यह शिकायतों के निपटारे के लिए एक प्रक्रिया प्रदान करेगा।
यह जवाब प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा 24 जून, 2014 को जारी उस आदेश के लिए झटके जैसा है जिसमें कहा गया था कि सिटीजन ग्रीवांस बिल को जल्द पारित कराने पर सरकार का जोर है।
कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग तथा प्रशासनिक सुधार व सार्वजनिक शिकायत विभाग को भेजे गए आधिकारिक पत्र में पीएमओ ने सिटीजन ग्रीवांस बिल को पारित करने से संबंधित लंबित कार्रवाई को जल्द से जल्द निपटाने की अपील की थी।
लेकिन, संसद में जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने मार्च 2016 में विधेयक की स्थिति पर सवाल पूछा तो पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “इसके लिए एक योजना तैयार की गई है, जिसका नाम डिलीवरी ऑफ सर्विसेज एंड ग्रीवांसेज र्रिडेसल स्कीम, 2015 है।”
नेशनल कैंपेन फॉर द पीपुल्स राइट टू इंफॉर्मेशन की कार्यकर्ता अमृता जौहरी द्वारा जून 2016 में दायर एक आरटीआई के जवाब में प्रशासनिक सुधार व सार्वजनिक शिकायत विभाग ने कहा कि स्कीम को अंतिम रूप देने का काम अभी चल रहा है।
–आईएएनएस
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