रायबरेली, 26 जुलाई(हि. स.)। सीमा पर जाबांज जवानों ने हमेशा अपने प्राणों का बलिदान देकर देश की रक्षा की है। कारगिल युद्ध मे भी कई जवानों ने शहादत दी, इनमें एक रायबरेली के वीर राजेन्द्र यादव भी थे। जिनकी शहादत को 21 वर्ष बाद भी देश आज याद कर रहा है।
रायबरेली के गौरव शहीद राजेन्द्र यादव की वीरता के किस्से आज भी लोगों को रोमांचित करती है। डलमऊ के मुतवल्लीपुर निवासी राजेन्द्र यादव ने 1984 में थल सेना में अपनी सेवा शुरू की और कुमाऊं रेजिमेंट के नायक बने। कारगिल युद्ध के दौरान उनकी टुकड़ी तुर्तुक घाटी पर तैनात थी। जहां पाकिस्तानी फ़ौज से भीषण युद्घ चल रहा था। भारी गोलाबारी के बीच कुमाऊं रेजिमेंट की इस टुकड़ी ने घाटी की चौथी पहाड़ी पर मोर्चा संभाला औऱ जल्दी ही दुश्मनों को यहां से भागने पर मजबूर कर दिया। हालांकि इस लड़ाई में कई जवान शहीद भी हो गए, जिनमें रायबरेली के राजेन्द्र यादव भी थे।
राजेन्द्र यादव ने इस मोर्चे पर वीरता का परिचय देते हुए दुश्मनों को कड़ी टक्कर दी और उन्ही के हथियार से उनको मार गिराया।इसी मोर्चे पर वह लड़ते लड़ते 3 सितम्बर 1999 को वीर गति को प्राप्त हो गये।उनकी वीरता के किस्से लोगों को गर्व से भर देते हैं।
बेटा भी कर रहा है देश की रक्षा
शहीद राजेन्द्र यादव के परिवार में उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं। शहादत के समय तीनों काफी छोटे थे, लेकिन उनकी पत्नी ललिता देवी ने बच्चों को पढ़ाने लिखाने में कोई कोताही नहीं बरती। पति के शहीद होने के बावजूद देश की रक्षा के लिए उन्होंने बड़े बेटे अतुल को सेना में नौकरी करने की सलाह दी।2016 को उनका बड़ा बेटा अतुल भारतीय नौसेना में लेफ्टिनेंट के पद पर है। जबकि एक बेटी की शादी हो गई है और छोटा बेटा सिविल की तैयारी कर रहा है। शहीद का परिवार जहां उनकी शहादत पर गौरवान्वित है वहीं लोगों से भी देश और सैनिकों के लिए एकजुट होने की अपील कर रहा है।
गांव वालों को अब भी है विकास की आस
शहीद राजेन्द्र यादव के गांव मुतवल्लीपुर की दशा दूसरे गावों की तरह ही है। कच्ची सड़कें और पानी, बिजली की समस्या आम तो है ही। इन्हें दरकार है कि यह गांव शहीद ग्राम घोषित हो जिससे सरकार की तरफ़ से कुछ विशेष सुविधाएं मिल सके। गांव वालों का दर्द है कि शासन प्रशासन की तरफ से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। गांव वासियों को गर्व है कि उनका बेटे ने देश की रक्षा में शहादत दी। इससे उनके बच्चे भी प्रेरित हो रहे हैं और एक जज़्बा भी कि देश के लिए कुछ करना है।
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