लखनऊ, 18 मई। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नैया पार करने का जिम्मा लेने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) चाहते हैं, प्रदेश में कुर्मी और ब्राह्मण समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ा जाए। पीके के जिम्मेदारी संभालने के बाद एक सुगबुगाहट भी तेजी से फैल रही है कि यूपी कांग्रेस में जल्द ही व्यपाक फेरबदल होने वाला है।
भाजपा में ब्राह्मण अध्यक्ष को हटाए जाने के बाद ब्राह्मणों की नाराजगी को अपने पक्ष में भुनाने के लिए कांग्रेस उन्हें विकल्प देने जा रही है। यूपी कांग्रेस का नया चेहरा किसी ब्राह्मण को बनाए जाने की तैयारी है।
पीके की रणनीति है कि कुर्मी वोट बैंक के साथ अगर ब्राह्मण को भी पाले में कर लिया जाए तो कांग्रेस को यूपी में बड़ी सफलता हाथ लग सकती है।
भाजपा से नाराज ब्राह्मण प्रतिक्रियात्मक तौर पर कांग्रेस के साथ आ सकता है। पीके अपने प्रबंधन के लिहाज से तीन ब्राह्मण नेताओं के नाम कांग्रेस हाईकमान को सुझाए हैं, लेकिन राहुल गांधी ने किसी नाम पर फिलहाल अपनी मुहर नहीं लगाई है।
पीके ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए कमलापति त्रिपाठी के पौत्र राजेशपति त्रिपाठी, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद तथा सांसद प्रमोद तिवारी के नाम अध्यक्ष पद के लिए सुझाए हैं। उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस को ब्राह्मणों में पैठ बनानी ही होगी।
प्रशांत का तर्क है कि ब्राह्मण समाज का भाजपा से मोहभंग हो रहा है, लेकिन उसे बेहतर विकल्प नहीं मिलने के चलते वह सपा और बसपा की तरफ जाता रहा है। अगर कांग्रेस खुद को मजबूत विकल्प साबित करे तो ब्राह्मण समाज पार्टी से जुड़ सकता है।
विधानसभा के 2002 के चुनाव में 50 फीसदी ब्राह्मण मतदाता भाजपा के साथ था, लेकिन 2007 में 44 तथा 2012 के विधानसभा चुनाव में 38 फीसदी मतदाता ही भगवा के साथ रह गया था।
वर्ष 2017 में इसमें और कमी आने की प्रबल आशंका है। सन् 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा भी 19 प्रतिशत ब्राह्मण मतदाताओं के वोट पाने में सफल रहे।
पीके का मानना है कि अगर कांग्रेस मजबूत विकल्प साबित हुई तो मुस्लिम मतदाता भी सपा-बसपा से ज्यादा कांग्रेस से स्वाभाविक तौर पर जुड़ जाएगा। पर, पीके की दिक्कत यह है कि उनके हिस्से में अब तक जो दो जीतें आई हैं, वे प्रतिकूल परिस्थितियों में मिली हैं।
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