बेंगलुरू, 26 अक्टूबर| केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने यहां बुधवार को रिश्वतखोरी के एक मामले में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा को बरी कर दिया। लोगों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में न्यायाधीश आर.बी.धर्मागुदेर ने 40 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में सबूतों के अभाव में येदियुरप्पा के दोनों बेटों बी.वाई. राघवेंद्र तथा बी.वाई विजयेंद्र तथा उनके दामाद आर.एन.सोहन कुमार तथा सात अन्य लोगों को भी बरी कर दिया।
फैसले की घोषणा के बाद येदियुरप्पा ने कहा, “न्याय हो चुका है।”
येदियुरप्पा के साल 2008-2011 के कार्यकाल के दौरान शिमोगा में उनके परिवार द्वारा संचालित प्रेरणा शिक्षा ट्रस्ट को खनन कंपनियों द्वारा कथित तौर पर दान देने के बदले लीज की मंजूरी देने के आरोप में सीबीआई ने 15 मई, 2012 को भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के तहत मामला दर्ज किया था।
अन्य आरोपियों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मंत्री एस.एस.कृष्णया शेट्टी, साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी, जिंदल स्टील वर्क्स (जेएसडब्ल्यू), रियल टेक्निकल सॉल्यूशंस लिमिटेड तथा इंडस्ट्रियल टेक्नो मैन पावर सप्लाई एंड सर्विसेज लिमिटेड शामिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने जेएसडब्ल्यू तथा इसकी सहायक कंपनी साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड को माइनिंग लीज देने में रिश्वतखोरी की जांच के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की सिफारिशों पर 11 मई, 2012 को सीबीआई को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। सीईसी की नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय ने की थी।
मामला साउथ वेस्ट माइनिंग द्वारा प्रेरणा ट्रस्ट को 10 करोड़ रुपये का दान देने तथा इस कंपनी द्वारा 1.12 एकड़ जमीन खरीदने का है। इस जमीन को सरकारी नियंत्रण से तब मुक्त किया गया था, जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री थे।
सीईसी ने येदियुरप्पा के बेटों पर खनन क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी प्रवीण चंद्रा से उनके द्वारा स्थापित रियल एस्टेट कंपनियों के माध्यम से छह करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है।
लोकायुक्त न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एन.संतोष हेगड़े द्वारा येदियुरप्पा पर खनन घोटाले का आरोप लगाने तथा उन पर मुकदमा चलाने की सिफारिश करने के बाद मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया था। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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