भोपाल, 04 जनवरी। मध्यप्रदेश में विगत 12 वर्षों के दौरान विकास के कीर्तिमान रचे गए हैं जिसमें ग्रामीण स्तर पर चल रही अनेक कल्याणकारी योजनाओं का अहम योगदान है। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि गांवों में संचालित कल्याणकारी योजनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को मंत्रालय में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा के साथ विभागीय समीक्षा बैठकों की श्रंखला की शुरुआत की।
इंदिरा आवास योजना की प्रगति पर असंतोष जाहिर करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने इसमें सुधार करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि इंदिरा आवास कुटीरों का भौतिक सत्यापन करना जरूरी है। इसके लिये राज्य स्तर से निरीक्षण दल भेजे जायेंगे। उन्होंने आवास निर्माण कार्य की कलेक्टरों द्वारा निगरानी रखने और जिला एवं जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने एक ही हितग्राही एवं आवास इकाई की फोटो भुगतान के लिये उपयोग में लाने से संबंधित फीडबेक मिलने पर कहा कि ऐसे अधिकारियें की जिम्मेदारी निर्धारित कर उन्हें निलंबित करें और गंभीर अनियमितता पर सेवा से निकाल दें। उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्यों से योजनाएँ पिछड़ जाती हैं और सरकार की भी साख गिरती है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सघन मैदानी दौरे शुरू करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री अंत्योदय आवास योजना में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि 28 लाख आवासहीन परिवारों को आवास सुविधा उपलब्ध करवायें। हितग्राहियों को आवास मेले लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर घर को आवास देने के सपने को साकार करें। इसमें मध्यप्रदेश का विशेष योगदान होगा।
शिवराज सिंह ने महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में मजदूरी के भुगतान में विलंब पर असंतोष जाहिर करते हुए भुगतान व्यवस्था को प्रभावी बनाने को कहा। इसमें विलम्ब करने वाले अधिकारियों को चिन्हित करें और उनके खिलाफ कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि मनरेगा में मध्यप्रदेश को मिलने वाली राशि जारी करने के लिये भारत सरकार से आग्रह किया जायेगा। मजदूरी बढ़ाने के संबंध में भी विचार किया जायेगा।
चौहान ने कहा कि राज्य की सिंचाई और खेती में अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के क्रियान्वयन में भी देश में आगे रहना होगा। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा जल संरचनाओं का प्रबंधन और नियोजन करने के निर्देश देते हुए कहा कि पड़त भूमि को उपजाऊ में बदलने का यह उत्तम तरीका है। इसके लिये उन्होंने ग्रामीण विकास, जल संसाधन और कृषि विभाग में समन्वय की आवश्यकता बताई।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने सड़कों की गुणवत्ता की समय-समय पर निगरानी के लिये कहा। पाँच सौ तक की जनसंख्या वाले सभी गाँव सड़कों से जुड़ जायेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सड़कों के संधारण पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये राज्य की ओर से नये प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की 6100 किमी सड़कों से 6500 गाँव जुड़ चुके हैं। भविष्य में 13 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने खेत सड़क और सुदूर ग्राम संपर्क योजना में तेजी लाने के निर्देश दिये। पंच परमेश्वर योजना में 12 हजार 244 किलोमीटर की सी.सी. सड़कें बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिये भारत सरकार के स्तर की सभी आवश्यक औपचारिकताएँ समय पर पूरा करने के निर्देश दिये।
मुख्यमंत्री ने गाँवों में सामाजिक सांस्कृतिक कार्यकलापों के लिये सामुदायिक भवनों के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि हर ग्राम पंचायत का एक भवन होना चाहिये। सामुदायिक भवनों को भी पूरा करना चाहिये। जिन गाँवों की जनसंख्या 5000 हो, वहाँ ऐसे भवन अवश्य होना चाहिये। इसके लिये विस्तृत कार्य-योजना बनायें। उन्होंने गाँवों में पाइप लाइन से जल प्रदाय की योजना बनाने के निर्देश दिये। उन्होंने गाँवों में खेल गतिविधियों के लिये जहाँ जमीन उपलब्ध हो, वहाँ स्टेडियम बनाने के काम को प्राथमिकता देकर अभियान के रूप में चलाने के निर्देश देते हुए इसे मुख्यमंत्री खेल परिसर योजना का नाम देने को कहा। उन्होंने कहा कि इस काम के लिये स्थानीय विधायकों और जिला कलेक्टर मिलकर उपयुक्त जमीन का चयन कर सकेंगे। खेल और ग्रामीण विकास विभाग इस संबंध में आपस में चर्चा कर रणनीति बनायेंगे।
मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री ग्रामीण हाट की स्थापना में तेजी लाने के निर्देश देते हुए कहा कि जो अधिकारी-कर्मचारी इस काम में विलम्ब कर रहे हैं उन पर कार्रवाई की जायेगी। श्री चौहान ने शौचालयों के निर्माण के लिये सघन अभियान चलाने के निर्देश दिये। बैठक में बताया गया कि खुले में शौच जाने से मुक्त होने वाला इंदौर प्रदेश का पहला जिला होगा।
उन्होंने कहा कि शौचालय निर्माण और इनके उपयोग का परामर्श देने के लिये जन-प्रतिनिधियों को इस काम से जोड़े और सतत अभियान चलायें। चौहान ने पंचायतों में लंबित पड़े निर्माण कार्यों को पूरा करने के बाद ही नये कार्य स्वीकृत करने के निर्देश प्रसारित करने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व-सहायता समूहों के माध्यम से रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर उत्पन्न करने के लिये आंदोलन के संचालन की जरूरत है। बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में एक लाख 16 हजार स्व-सहायता समूह बन गये हैं। इनके माध्यम से 1 लाख 74 हजार परिवार आर्थिक गतिविधियों से जुड़ गये हैं।
मुख्यमंत्री ने जनवरी माह में ही चुनिंदा स्व-सहायता समूहों के सदस्यों का सम्मेलन बुलाने को कहा। उन्होंने कहा कि मैदानी दौरों के समय वे स्व-सहायता समूहों के सक्रिय सदस्यों से अनिवार्य रूप से मिलेंगे। उन्होने कहा कि फरवरी में दो सम्मेलन और मार्च में स्व-सहायता समूहों से संवाद का कार्यक्रम रखा जायेगा।
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