योजना आयोग की जगह नीति आयोग से हिमाचल को हुआ नुकसान

शिमला, 20 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के लिए सामान्य केन्द्रीय सहायता, विशेष केन्द्रीय सहायता और विशेष योजना सहायता के अन्तर्गत 3000 करोड़ रुपये वृद्धि के वार्षिक आबंटन के सम्बन्ध में केन्द्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा का बयान तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां नड्डा के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि केन्द्र ने ऊपर दी गई योजनाओं की अनुदान राशि को जारी करना बंद कर दिया है।

उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री ने कहीं भी विशेष रूप से यह स्पष्ट नहीं किया है कि केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं के अन्तर्गत जारी की जाने वाली 3000 करोड़ रुपये की धनराशि को बंद क्यों किया और प्रदेश को इस क्षेत्र में हुई क्षतिपूर्ति के लिए केन्द्र की क्या योजना है।

उन्होंने कहा कि जहां तक हिमाचल प्रदेश सहित सभी राज्यों के लिये वर्टिकल टैक्स को 32 प्रतिशत से 42 तक प्रतिशत बढ़ाने का सम्बन्ध है, यह हिमाचल प्रदेश के लिए केन्द्रीय हस्तांतरण की सही तस्वीर को नहीं दर्शाता है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग को समाप्त करके इसके स्थान पर नीति आयोग बनाने से हिमाचल प्रदेश को वित्तीय नुकसान हुआ है। जिसके परिणामस्वरूप, प्रदेश को सामान्य केन्द्रीय सहायता, विशेष केन्द्रीय सहायता और विशेष योजना सहायता, जिनकी पूर्व में योजना आयोग द्वारा संस्तुति की जाती थी, अब प्राप्त नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि इससे हिमाचल प्रदेश को वर्ष 2015-16 के दौरान 3000 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश की वार्षिक योजना को अब राज्य केन्द्रीय सहायता के बिना अपने संसाधनों से वित्त पोषित कर रहा है।

प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश सरकार की सभी केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं में भारत सरकार द्वारा 90ः10 के अनुपात में वित्त पोषित करने की मांग को स्वीकार करने के बावजूद हिमाचल प्रदेश को कोई लाभ नहीं हुआ है, क्योंकि केन्द्र सरकार ने अपने सभी मंत्रालयों की केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं के बजट प्रावधानों को बहुत कम कर दिया है। प्रदेश को सबसे अधिक नुकसान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मनरेगा और समेकित त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अन्तर्गत हुआ है।