अब रजनी की बकरियों को सुरक्षित आश्रय मिल गया है क्योंकि बकरियों के लिए पक्का चार दीवारी वाला शेड बन गया है।
मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ ही परिसंपत्ति निर्माण में मददगार साबित हो रहा है।
डबरी निर्माण, कूप खनन, मुर्गी शेड ,बकरी शेड जैसे निजी निर्माण कार्य से अब ग्रामीणों को अपनी परिसंपत्ति निर्माण का लाभ मिल रहा है।
रजनी के घर में खुशियों ने उस समय दस्तक दी जब उसे पता चला कि मनरेगा के तहत मवेशियों को रखने के लिए शेड निर्माण कार्य कराया जा सकता है।
उसने ग्राम पंचायत जा कर इस संबंध में सभी जानकारी लेकर अपने नाम से पक्का शेड स्वीकृति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया।
जनपद पंचायत से प्रस्ताव जिला कार्यालय को प्रेषित किया गया जहां से शासन ने महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत श्रीमती रजनी पति बुधसाय के नाम से शेड निर्माण के लिए 65 हजार 900 रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई।
छत्तीसगढ़ राज्य में अम्बिकापुर जिले में जनपद पंचायत उदयपुर के ग्राम पंचायत भकुरमा निवासी श्रीमती रजनी के पास 15 बकरियाँ हैं जिन्हें रखने के लिए काफी दिक्कत होती थी।
रजनी की बकरियों को शेड के बन जाने से अब बारिश, ठंड और जंगली जानवरों से सुरक्षा मिल गई है। नहीं तो उसे अब तक जगह की कमी से बकरियों को खुले में ही बांधना पड़ता था तथा जंगली जानवर आदि का खतरा भी बना रहता था।
श्रीमती रजनी बाजार में बकरियाँ बेचकर आय बढ़ा रही हैं। रजनी बकरियाँ बेचकर अब तक 15 हजार रुपये की आय अर्जित कर चुकी है। रजनी ने बकरियों को रखने के लिये मनरेगा में पक्के शेड मिलने से शासन.प्रशासन को धन्यवाद दिया है।
मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में शेड निर्माण में मवेशी पालक रुचि ले रहे हैं। इससे मवेशियों को बारिश व सर्दी में सुरक्षा मिलेगी। इसके अलावा बकरी व भेड़ों को कुत्तों व अन्य जानवरों के शिकार करने का भी भय नहीं सताएगा।
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