जयपुर, 3 अक्टूबर। राजस्थान राज्य के करीब एक लाख सेवानिवृत्त और कार्यरत कर्मचारी अब राज्य सरकार के नियमित कर्मचारियों की श्रेणी में आएंगे।
सरकार ने 17 फरवरी 1995 से उन्हें पदोन्नति के अवसर एवं कार्य की गरिमा के अनुरूप उपयुक्त नये पदनाम मिलेंगे।
रविवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस संबंध में संवेदनशील निर्णय लिया गया है.
बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, लोक निर्माण, जल संसाधन एवं वन विभाग के अधीनस्थ सेवा नियमों में कार्यप्रभारित कर्मचारियों के नये पदनाम एवं पदोन्नति पद शामिल करने संबंधी संशोधनों को मंजूरी दी गई।
संवेदनशील निर्णय से प्रसन्नता प्राप्त हुई
लगभग 28 वर्षों से प्रमोशन नहीं मिलने के कारण कार्य प्रभारी कर्मी अपने प्रारंभिक नियुक्ति पद (चौकीदार, खलासी, रेस्ट हाउस कीपर, बेलदार, मजदूर, फर्राश) से ही सेवानिवृत्त हो रहे थे. अब इन्हें विभागीय सेवा नियमों के दायरे में लाकर उचित नया पदनाम और पदोन्नति दी जाएगी। गौरतलब है कि 1995 के बाद से उनका प्रमोशन नहीं हुआ था.
इसकी घोषणा बजट 2023-24 में की गई थी
इस संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा बजट वर्ष 2023-24 में घोषणा की गई थी। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों के लिए नए पदनाम और पदोन्नति पद निर्धारित करके वेतनमान नियमों और अधीनस्थ सेवा नियमों में संशोधन करने के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए गए थे।
नियमों के मसौदे को मंजूरी
मंत्रिमंडल ने राजस्थान वन अधीनस्थ सेवा (संशोधन) नियम-2023, राजस्थान अधीनस्थ अभियांत्रिकी (भवन एवं सड़क शाखा) सेवा नियम-1973, राजस्थान अभियांत्रिकी अधीनस्थ सेवा (सिंचाई शाखा) (संशोधन) नियम-2023 और राजस्थान अभियांत्रिकी अधीनस्थ सेवा (संशोधन) नियम-2023 में संशोधन को मंजूरी दी। सार्वजनिक स्वास्थ्य शाखा) (संशोधित) नियम-2023 के प्रारूप का अनुमोदन किया गया।