जयपुुर, 3 फरवरी। राजस्थान के बांसवाड़ा के हिम्मतपुरा गांव के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा जहाँ ग्रामीणों की हिम्मत के आगे बदलाव का ऐसा सुनहरा मंजर सामने आया कि सब देखते ही रह गए।
मौका था मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत सामूहिक श्रमदान का। ग्रामीणों ने अपने गाँव की पहाडिय़ों से होकर बह जाने वाले बरसाती पानी को रोकने के लिए सामूहिक श्रमदान का बीड़ा उठाया और तगारे-फावड़े और गैंतियाँ लेकर कूच कर दिया पहाडिय़ों की ओर।
अपने गांव की खुशहाली के लिए गांव का पानी गांव में ही रोकने के इस अभियान को लेकर जबर्दस्त उत्साह से भरे हुए ग्रामीण स्त्री-पुरुषों ने पहाडिय़ों पर जल रोकने के लिए बड़ी-बड़ी नालियाँ (ट्रैंच) खोदनी शुरू की। ग्रामीणों का पसीना रंग लाया और घण्टे भर में पहाडिय़ों का नवीन स्वरूप दिखने लगा। मानव श्रम और सामूहिक श्रमदान का जयगान करता यह अभियान हिम्मतपुरा गांव के लिए ऐसा अनूठा उत्सव बन उठा जिसने हर किसी को सुकून से नहला दिया।
ग्रामीणों के सामूहिक श्रमदान में जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, राज्यकर्मियों आदि ने भी अपनी सहभागिता निभाते हुए इसे ऐतिहासिक यादगार बनाया।
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान में हुए इस काम से गांव के लोग खुश हो उठे हैं। उनका मानना है कि अब तक गांव में मूंगफली, उड़द आदि की फसलें ही होती थीं। अब पहाड़ी पानी के रुकने से सतही जल का संरक्षण होगा वहीं भूमिगत जल स्तर में भी बढ़ोतरी होगी। इससे दूसरी फसलें लिए जाने के साथ ही फल-फूल और सब्जी उत्पादन को भी संबल मिलेगा। इससे खेत-खलिहान समृद्घ होंगे और ग्रामीण विकास का नया दौर शुरू होगा।
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