राजस्थान: ग्रामीणों ने कहा-नहीं देखा पहले ऐसा नजारा

जयपुर, 28 जनवरी। घर की जरूरतों के लिए सिर पर ढोकर पानी लाना, बार-बार हैंडपम्पों का जवाब दे जाना और खेती के लिए वर्षा की ओर तकते रहना… ऐसे ही हालात से दो-चार होने वाले ग्रामीणों को मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ने बड़ी उम्मीदें बांधी हैं। जिस उत्साह और जोशीली जनभागीदारी के साथ इस अभियान का आगाज हुआ है, उसने बुजुर्गों की आंखों में नए सपने जगा दिए हैं कि निश्चय ही अब जल के लिए जन-जन जागेगा, जुटेगा और जल स्वावलम्बी होकर अपना कल संवारेगा।

कोटा के सांगोद उपखण्ड में मोईकला गांव से जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की 27 जनवरी से शुरुआत हुई। इस अवसर पर जनभागीदारी के लिए जो जनसमुदाय उमड़ा, वह यही बता रहा था कि जल के लिए सब एक हैं और इसे सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है।

यहां प्राचीन तालाब की खुदाई के लिए श्रमदान की होड़ लग गई। मंत्री से लेकर जनप्रतिनिधि, अधिकारी और बुजुर्ग और किशोरवय ग्रामीण और स्वयंसेवी संस्थाएं सभी जुट गए। मोईकला सहित जिन चयनित 66 गांवों में यह अभियान शुरु हुआ, वहां जनभागीदारी बढ़-चढ़ कर सामने आई। बुजुर्गों का कहना था कि ऐसा नजारा उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।

मोईकला में जब प्रभारी मंत्री प्रभुलाल सैनी के नेतृत्व में अभियान की शुरुआत हुई तो बहुत से बुजुर्ग आश्चर्य के साथ सारा नजारा देख रहे थे और आपस में इस अभूूतपूर्व दृश्य और दूरगामी सोच के परिणामों वाले इस अभियान की चर्चा कर रहे थे। पेंसठ वर्षीय देवी लाल ने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है जब मंत्री से लेकर अधिकारी और ग्रामीण एक साथ पानी बचाने के लिए जुटे हैं। यदि तालाब का जीर्णोद्घार इसी भावना से हो तो यह ग्रामीणों के लिए काफी उपयोगी जल संसाधन बन जाए।

इसी तरह 62 वर्ष के छीतरलाल का कहना था कि ऐसा कभी सोचा नहीं था कि पानी के लिए सब इस गांव में जुट जाएंगेे। तालाब में गार जमी है, गहरी खुदाई से ही इसमें पानी टिकने लगेगा और ग्रामीणों को इसका लाभ मिलेगा। लटूरलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह दूर की सोच वाला अभियान है। हम सब ग्रामीणों को इसे आगे बढ़ाने के लिए जुटना होगा तभी जल स्वावलम्बी बनने का सपना साकार होगा।

बिरदीलाल और भंवरलाल ने कहा कि हम अब उम्मीद कर सकते हैं कि हमारी पीढिय़ों को पानी का मोल समझ आ जाएगा और वे इसे बचाने के लिए सरकार के इस अभियान को अपना समझ कर इसे मूर्तरूप देंगे।

इस अवसर पर मौजूद युवाओं ने भी जल का मोल माना और इसके संरक्षण के लिए जुटने की भावना व्यक्त की। गांव के ही निवासी आईटीआई शिक्षित युवक सत्यनारायण का कहना था कि जब मंत्री, जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारीगण और शहरी-ग्रामीण सभी आ जुटे तो हमारी अब बड़ी जिम्मेदारी है कि इस कार्य को आगे बढ़ाएं।

जल का मोल समझकर ही मोईकला में हुए समारोह में जब जनसहयोग के लिए लोग आगे आने लगे तो गांव के एक मजदूर की पुत्री माया राठौर तुरंत उठ खड़ी हुई और जरुरी काम के लिए रखे जेब में पचास रुपए निकाल कर इस अभियान के नाम सौंप दिए। माया राठौर के इस बड़े कदम को सभी ने दाद दी और उसका अभिनन्दन किया गया।