चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के कारण राजस्थान पहला ऐसा राज्य बन गया है जहाँ 89 प्रतिशत परिवार स्वास्थ्य बीमा कवरेज से जुड़ गए हैं।
प्रदेश में नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे-4 के दौरान केवल 19 प्रतिशत परिवार ही स्वास्थ्य बीमा के दायरे में थे, लेकिन पांचवें सर्वे के अनुसार अब राजस्थान के 88 प्रतिशत परिवार स्वास्थ्य बीमा से जुडे हैं जिसके चलते देश में पहले स्थान पर है।
इसका श्रेय ‘‘मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना‘‘ को जाता है जिसके चलते प्रदेश के लोग महंगे इलाज की चिंता से मुक्त हो गए हैं।
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में बीमित परिवारों को दुर्घटना में होने वाली मृत्यु अथवा पूर्ण स्थाई अपंगता की स्थिति में आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए शुरूआत की गई। इस योजना में बीमित परिवार के सदस्य अथवा सदस्यों की दुर्घटना में मृत्यु होने अथवा दुर्घटना के कारण हाथ, पैर, आंख की स्थाई पूर्ण क्षति होने पर 5 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
प्रदेश के नागरिकों को राजस्थान सरकार ने भरोसा दिया है कि कैसी भी बीमारी हो, दुर्घटना हो, बिना पैसे की चिंता किए महंगे से महंगे अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं।
प्रदेश में 1 मई, 2021 से 10 नवंबर, 2022 तक 27 लाख, 61 हजार, 656 लोगों ने अपना निःशुल्क इलाज करवाया जिस पर करीब 3172.23 करोड रुपए खर्च हुए, जो पूरे देश में एक कीर्तिमान है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘‘चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना‘‘ से, जिसमें दिल की बीमारी से लेकर कैंसर तक का इलाज पूरी तरह निःशुल्क है। इतना ही नहीं अंग प्रत्यारोपण जैसी चिकित्सा भी पूरी तरह निःशुल्क है।
प्रदेशभर में चिरंजीवी योजना में 10 नवंबर, 2022 तक 167 मरीजों के गुर्दा प्रत्यारोपण पर 4 करोड 90 लाख रुपए तथा 19 मरीजों के बोनमेरो ट्रांसप्लांट पर 44 लाख रुपए खर्च हुए है।
कॉकलियर इम्प्लांट के 49 मरीजों पर 1 करोड, 60 लाख 73 हजार रुपए, चार मरीजों को हृदय प्रत्यारोपण के लिए 13 लाख रूपए का निःशुल्क इलाज उपलध कराया गया।
इसी तरह लीवर प्रत्यारोपण के 6 मरीजों पर 45 लाख 50 हजार रुपए, चार लाख 104 डालिसिस के मरीजों पर 68 करोड, 34 लाख 63 हजार रुपए तथा 8142 मरीजों के पीईटी सीटी स्केन पर 11 करोड, 39 लाख, 88 हजार रुपए का इलाज उपलब्ध कराया गया।
चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए 1633 पैकेजेज और प्रोसिजर उपलब्ध है।
प्रदेश के 830 सरकारी तथा 882 निजी अस्पताल जुड चुके हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने योजना का दायरा बढाते हुए ऑर्गन ट्रांसप्लांट को भी इसमें शामिल कर दिया।
सबसे खास बात यह है कि चिरंजीवी योजना में शामिल 10 लाख रुपए की सीमा को ट्रांसप्लांट के लिए उपयोग में नहीं गिना जाता है।
गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 10 लाख रुपए से भी अधिक राशि की आवश्यकता पडने पर राज्य सरकार द्वारा ट्रस्ट मोड पर अतिरिक्त राशि का वहन कर योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क इलाज दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिए हैं कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी जीवन रक्षा योजना में सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति, चाहे वह किसी भी राज्य का हो, बिना किसी पहचान एवं पात्रता के इस योजना से जुडे निजी एवं सरकारी अस्पतालों में इलाज प्राप्त कर सकता है।
इन अस्पतालों में दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को 72 घंटों तक निःशुल्क आपातकालीन उपचार दिया जाएगा।
योजना का उद्देश्य यह कि दुर्घटना के बाद 72 घंटों के गोल्डन पीरियड्स में यदि घायल को समय पर इलाज मिल जाता है तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
इस योजना में प्रदेश के 1 करोड, 34 लाख, 50 हजार, 50 परिवार पंजीकृत हैं।
इनमें 1 करोड, 4 लाख, 89 हजार, 833 परिवार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत, लघु एवं सीमांत कृषकों के 15 लाख, 39 हजार, 533 परिवार तथा कोविड अनुग्रह राशि प्राप्त करने वाले 2 लाख 97 हजार, 994 निराश्रित एवं असहाय परिवार शामिल हैं।
प्रदेश के समस्त विभागों, बोर्ड, निगम व सरकारी कंपनियों में काम करने वाले 75 हजार 248 संविदाकर्मियों के परिवारों को भी इसके दायरे में रखा गया है।
सामाजिक और आर्थिक जनगणना के पात्र 1199 परिवारों सहित कुल 1 करोड, 24 लाख, 3 हजार, 827 परिवारों का प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। शेष 10 लाख, 52 हजार, 223 परिवार, 850 रूपए प्रिमियम प्रति परिवार, प्रति वर्ष की दर से योजना का लाभ ले रहे हैं।