राज्यसभा में स्मृति ईरानी और मायावती के बीच हुई तीखी बहस

नई दिल्ली, 24 फरवरी। हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित शोधार्थी रोहित वेमुला की आत्महत्या के मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी के सदस्यों के हंगामे की वजह से आज राज्यसभा की कार्यवाही बार बार स्थगित करनी पड़ी। बजट सत्र के पहले दिन आज सदन की बैठक शुरू होते ही बहुजन समाज पार्टी प्रमुख  मायावती ने कहा कि यह गंभीर चिन्ता का विषय है। उन्होंने मांग की कि हैदराबाद विश्वविद्यालय की घटना की जांच कर रहे न्यायिक आयोग में एक दलित को भी शामिल किया जाना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार शीर्ष शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की विचारधारा थोपने की कोशिश कर रही है। बसपा नेता ने इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की मांग की।

फाईल फोटोः मायावती और स्मृति ईरानी (आईएएनएस)

बसपा सदस्य राज्यसभा के सभापति की आसंदी के समक्ष नारेबाजी कर रहे थे, जिसके कारण भोजनावकाश से पहले सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।

जब सदन की कार्यवाही जब दोपहर दो बजे शुरू हुई, तो स्मृति ने कहा कि वह बसपा नेता के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं। आक्रोशित दिख रहीं स्मृति ने पहले बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा को चुनौती दी। उन्होंने कहा, “आमने-सामने आकर बात कीजिए सतीश जी, मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं।”

मंत्री ने कहा, “मायावती जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं और आप जवाब चाहती हैं। मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं। अगर आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होंगी, तो मैं अपना सिर काटकर आपके कदमों में रख दूंगी।”

इसके बाद भी मायावती जब न्यायिक समिति में दलित सदस्य के होने की बात उठाती रहीं तो स्मृति ने कहा, “एक दलित प्रोफेसर हैं, जिनका निर्णय आपको स्वीकार नहीं..आप यह कहना चाहती हैं मायावती जी कि एक दलित तभी दलित हो सकता है, जब आप उन्हें दलित होने का प्रमाण पत्र दे दें।”

स्मृति के ऐसा कहने पर एक बार फिर सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिसके कारण सदन की कार्यवाही फिर बाधित हुई और 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।