लखनऊ, 16 नवंबर | उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) के भीतर पार्टी से निष्कासित नेता रामगोपाल यादव को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यूं तो रामगोपाल सपा से छह साल के लिए निष्कासित हो चुके हैं लेकिन बावजूद इसके उन्होंने बुधवार को राज्यसभा में सपा के नेता के तौर पर अपना पक्ष रखा। इस पूरे मामले में हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। समाजवादी पार्टी के सूत्रों की माने तो सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव गृहकलह के बीच राज्यसभा में पार्टी का नया नेता नहीं चुन पाए। सूत्र ने बताया, “दरअसल, रामगोपाल यादव मुलायम की मजबूरी बन गए हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो सत्र से पहले ही नेता का चयन कर लिया जाता।”
सूत्रों की माने तो मुलायम सिंह यादव अभी इस मामले में भ्रम की स्थिति बनाए रखना चाहते हैं। इसीलिए उन्होंने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि जल्द ही रामगोपाल की सपा में वापसी भी हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक रामगोपाल के बाद सपा में राज्यसभा का ऐसा कोई सदस्य नहीं है तो मुलायम के बेहद करीबी हो और उनके परिवार के भीतर का हो। हालांकि इस मुद्दे पर कुछ दिनों पहले सांसद बेनी प्रसाद बर्मा, कुंवर रेवती रमण सिंह व सांसद नरेश अग्रवाल के नामों पर चर्चा हुई थी लेकिन मुलायम की हरी झंडी नहीं मिल पाई थी।
इस बीच, यह पूछे जाने पर कि सपा से निष्कासन के बावजूद रामगोपाल ने राज्यसभा में सपा का पक्ष कैसे रखा, शिवपाल ने कहा कि इस पर वह कुछ भी नहीं बोलेंगे।
उन्होंने कहा, “इस मामले में पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ही फैसला लेंगे।”
गौरतलब है कि सपा परिवार में मचे विवाद के चलते कुछ दिन पूर्व प्रो. रामगोपाल को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। रामगोपाल राज्यसभा में भी सपा दल के नेता थे। लेकिन, पार्टी से निष्कासन के बावजूद आज जब उन्होंने राज्यसभा में सपा का पक्ष रखा तो मामला सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया।
चूंकि सपा परिवार का विवाद इस समय थोड़ा हल्का हुआ है। ऐसे में कयास लगने लगे हैं कि शायद रामगोपाल की पार्टी में अब वापसी हो जाएगी।
दरअसल, रामगोपाल ने बुधवार को संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी के मुद्दे पर राज्यसभा सपा की तरफ से अपना बयान दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि नोटबंदी के चलते गांव में रहने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि प्रधानमंत्री के इस कदम से कितना कालाधन इकट्ठा हुआ है? सरकार इसका खुलासा करे। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि पैसा लेने के लिए बैंकों के बाहर खड़े लोग क्या भ्रष्टाचारी हैं और क्या उनके पास काला धन है।
उधर, सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता नोटबंदी के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगे और केंद्र सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध करेंगे। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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