नई दिल्ली, 19 नवंबर। भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की चोरी की गई आठ सौ साल पुरानी कांस्य मूर्तियां वापस भारत लाई गई। इन मूर्तियों को आज तमिलनाडु सरकार की मूर्ति शाखा को सौंप दिया गया।
ये प्राचीन कांस्य मूर्तियाँ तमिलनाडु के एक मंदिर से 42 साल पहले चुरा कर लंदन पहुँचा र्दी गई थीं।
तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा द्वारा की गयी जांच के अनुसार, ये मूर्तियाँ 23-24 नवंबर 1978 को श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर से चुरायी गयी थीं।
भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की ये कांस्य मूर्तियां भारतीय धातु कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं और इनकी लंबाई क्रमशः 90.5 सेमी, 78 सेमी और 74.5 सेमी है। शैली के हिसाब से ये मूर्तियां 13वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं।
केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मुख्यालय, धरोहर भवन, नई दिल्ली में आज आयोजित एक समारोह में तमिलनाडु सरकार की मूर्ति शाखा को 13वीं शताब्दी की भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की कांस्य मूर्तियां सौंप दी।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, एएसआई और तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इससे पहले, 15 सितंबर 2020 को लंदन में वहां की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने ये कांस्य मूर्तियां भारतीय उच्चायोग को सौंपी थीं।
1958 में किए गए फोटो प्रलेखन के अनुसार, ये मूर्तियाँ तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले के आनंदमंगलम स्थित श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर (विजयनगर काल में निर्मित मंदिर) की हैं।
तमिलनाडु पुलिस की मूर्ति शाखा द्वारा की गयी जांच के अनुसार, ये मूर्तियाँ 23-24 नवंबर 1978 को श्री राजगोपाल विष्णु मंदिर से चुरायी गयी थीं।
भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की ये कांस्य मूर्तियां भारतीय धातु कला की उत्कृष्ट कृतियां हैं और इनकी लंबाई क्रमशः 90.5 सेमी, 78 सेमी और 74.5 सेमी है। शैली के हिसाब सेये मूर्तियां 13वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की हैं।
मूर्तियां सौंपने के समारोह के दौरान मंत्री ने मीडिया को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में2014 से अब तक विदेश से भारत में कुल 40 पुरावशेष वापस लाए गए हैं, जबकि 2014 से पहले, वर्ष 1976 के बाद से इस तरह के केवल 13 पुरावशेष वापस लाए गए थे।
उन्होंने इन मूर्तियों को देश में लाने की खातिर किए गए निरंतर प्रयासों के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, तमिलनाडु सरकार की विशेष मूर्ति शाखा,राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई)और लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग को बधाई दी।
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