राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे इस धरती पर सुखमय जीवन बिताएं तो हमें अपनी जीवन-शैली को बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सुझाए गए परिवर्तनों में से एक बदलाव भोजन से संबंधित है। मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि संयुक्त राष्ट्र ने भारत के सुझाव को स्वीकार किया है और वर्ष 2023 को The International Year of Millets घोषित किया है।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि बाजरा जैसे मोटे अनाज हमारे आहार के मुख्य तत्व हुआ करते थे। समाज के सभी वर्ग उन्हें फिर से पसंद करने लगे हैं। ऐसे अनाज पर्यावरण के अनुकूल हैं क्योंकि उनकी उपज कम पानी में ही हो जाती है। ये अनाज उच्च-स्तर का पोषण भी प्रदान करते हैं।
उन्होंने अपेक्षा की कि यदि अधिक से अधिक लोग मोटे अनाज को भोजन में शामिल करेंगे, तो पर्यावरण-संरक्षण में सहायता होगी और लोगों के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
महात्मा गाँधी की चर्चा करते हुए श्रीमती मुर्मू ने कहा “मैं इस बात पर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगी कि महात्मा गांधी आधुनिक युग के सच्चे भविष्यद्रष्टा थे, क्योंकि उन्होंने अनियंत्रित औद्योगीकरण से होने वाली आपदाओं को पहले ही भांप लिया था और दुनिया को अपने तौर-तरीकों को सुधारने के लिए सचेत कर दिया था।”
भाषण के प्रमुख अंश :
शासन के सभी पहलुओं में बदलाव लाने और लोगों की रचनात्मक ऊर्जा को उजागर करने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों की श्रृंखला के परिणामस्वरूप, अब विश्व-समुदाय भारत को सम्मान की नई दृष्टि से देखता है। विश्व के विभिन्न मंचों पर हमारी सक्रियता से सकारात्मक बदलाव आने शुरू हो गए हैं।
G-20 की अध्यक्षता एक बेहतर विश्व के निर्माण में योगदान हेतु भारत को अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करती है। इस प्रकार, G-20 की अध्यक्षता, लोकतंत्र और multilateralism को बढ़ावा देने का अच्छा अवसर भी है, और साथ ही, एक बेहतर विश्व और बेहतर भविष्य को स्वरूप देने के लिए उचित मंच भी है। मुझे विश्वास है कि भारत के नेतृत्व में, G-20, अधिक न्यायपरक और स्थिरतापूर्ण विश्व-व्यवस्था के निर्माण के अपने प्रयासों को और आगे बढ़ाने में सफल होगा।
G-20 के सदस्य देशों का कुल मिलाकर विश्व की आबादी में लगभग दो-तिहाई और global GDP में लगभग 85 प्रतिशत हिस्सा है, इसलिए यह वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा करने और उनके समाधान के लिए एक आदर्श मंच है। मेरे विचार से, global warming और जलवायु परिवर्तन ऐसी चुनौतियां हैं जिनका सामना शीघ्रता से करना है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव के चरम रूप दिखाई पड़ रहे हैं।
हमारे सामने एक गंभीर दुविधा है: अधिक से अधिक लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए आर्थिक विकास जरूरी है, लेकिन इस विकास के लिए fossil fuel का प्रयोग भी करना पड़ता है। दुर्भाग्य से, global warming का सबसे अधिक कष्ट गरीब तबके के लोगों को सहन करना पड़ता है। ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को विकसित करना और लोकप्रिय बनाना भी एक समाधान है।
भारत ने सौर-ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को नीतिगत प्रोत्साहन देकर इस दिशा में सराहनीय कदम उठाया है। हालांकि, वैश्विक स्तर पर, विकसित देशों द्वारा technology transfer और वित्तीय सहायता के जरिए, उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है।
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