गुवाहाटी, 29 सितम्बर | कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को मानहानि के एक मामले में गुवाहाटी की स्थानीय अदालत में पेश हुए, जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। कामरूप जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत ने राहुल को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया। मामले की अगली सुनवाई पांच नंवबर को होगी।
मामला राहुल की पिछले साल 12 दिसंबर को बारपेटा सात्रा की यात्रा के दौरान का है।
बाद में राहुल ने अदालत के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की देश को बांटने की विचारधारा के खिलाफ है और यह जारी रहेगी।
राहुल ने अदालत में पेश होने के बाद कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देश को बांटना चाहता है और मेरी लड़ाई उनके खिलाफ है। मैं डरता नहीं हूं और गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी।”
आरएसएस के एक स्वयंसेवक ने पिछले साल गांधी के खिलाफ मामला दायर किया था। सीजेएम की अदालत ने इस मामले में विभिन्न गवाहों की जांच के बाद राहुल को 29 सितंबर को अदालत में पेश होने को कहा था।
याचिकाकर्ता के वकील बिजान महाजन ने मीडिया से कहा, “गांधी को निजी मुचलके के तहत राहत मिली है। अदालत ने याचिकाकर्ता की अनुमति से उन्हें एक निजी मुचलके पर रिहा किया है।”
राहुल ने कहा, “वे (भाजपा) उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए मेरी 30 दिनों की यात्रा में व्यवधान डालना चाहते हैं। यही कारण है कि मेरे खिलाफ ऐसे मामले दर्ज किए जा रहे हैं।”
राहुल दिसबंर में बारपेटा सात्रा का दौरा करने वाले थे, लेकिन उन्होंने इसमें शामिल न होने का निर्णय लिया और इसके बदले उन्होंने एक रैली में हिस्सा लिया था।
बाद में उन्होंने नई दिल्ली में मीडिया से कहा कि आरएसएस के कुछ कार्यकर्ताओं ने उन्हें सात्रा में प्रवेश करने नहीं दिया।
स्वयंसेवक ने घटना में आरएसएस की भूमिका से इनकार करते हुए राहुल पर सात्रा की छवि धूमिल करने का भी आरोप लगाया था।
–आईएएनएस
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