रियो ओलम्पिक : मूछों से आगे दाढ़ी की लोकप्रियता

रियो डी जनेरियो, 14 अगस्त | ओलम्पिक खेलों के गौरवशाली इतिहास में अगर पीछे की ओर झांककर देखें तो एक समय था जब स्वर्ण पदक विजेता हमेशा मूछधारी ही होता था, या यूं कहें कि बिना मूछों के विजेता की कल्पना मुश्किल थी। एथेंस ओलम्पिक-1896 में सबसे अधिक पदक जीतने वाले लांचेस्टोन इलियट और लियोनाइडस पायरगोस से लेकर म्यूनिख ओलम्पिक-1972 में मार्क स्पिट्ज और लॉस एंजेलिस ओलम्पिक-1984 में डाली थॉम्पसन सभी स्वर्ण पदक विजेता शानदार मूछें रखते थे।

दो दशक बीतते दाढ़ी-मूछों से रहित चिकने चेहरे वाले स्वर्ण पदक विजेताओं का जमाना आ गया लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि ओलम्पिक पदक दावेदारों में फिर से दाढ़ी-मूछ लोकप्रिय हो रहा है।

फोटो: आईएएनएस

लेकिन इस बार मूछों की अपेक्षा दाढ़ी रखने का चलन अधिक दिख रहा है।

हालांकि हर खिलाड़ी के दाढ़ी रखने का अंदाज अलग है। चाहे अमेरिका रोवर सेथ वील की घनी दाढ़ी हो या जापान के वाटर पोलो खिलाड़ी कात्सुयूकी तानामूरा की ठोड़ी पर रखी हल्की दाढ़ी या अमेरिकी बाधा दौड़ धावक माइकल टिंस्ले की हल्की मूछों के साथ रखी घनी दाढ़ी।

रियो ओलम्पिक में खेल रहे खिलाड़ियों द्वारा रखी गई विभिन्न स्टाइल की दाढ़ियों ने दर्शकों को इस कदर आकर्षित किया है कि सोशल मीडिया पर भी हैशटैग के साथ ‘रियोबियर्ड’ छाया हुआ है।

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आउटडोर कला वीथिका में तब्दील होगा ओलम्पिक बोलेवार्ड

रियो के बंदरगाह पर समुद्र से सटे हुए 3.5 किलोमीटर लंबाई में बना ओलम्पिक बोलेवार्ड अब एक आकर्षक कला वीथिका में बदल गया है।

कई कलाकारों ने इस ओलम्पिक बोलेवार्ड में अपनी कला की प्रदर्शनी लगाई है, जिसमें सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र बनी हुई है सबसे ज्यादा देखने वाली चीज रिटा वेईनेर की दीवार पर बनाई गई पेंटिंग है जिसमें उन्होंने एक महिला को अपने मछुआरे पति के आने का इंतजार करते हुए चित्रित किया है।

रियो में अगले महीने से शुरू होने वाले पैरालम्पिक खेलों के रचनात्मक निदेशक विक म्यूनिज ने इमारत के सामने एक पूरा हिस्सा अपनी कलाकृतियों से सजा दिया है।

फ्रांस के घुमंतू कलाकार जे. आर. ने ‘इनसाइड आउट’ शीर्षक से बोलेवार्ड के एक हिस्से में अपना इंस्टालेशन तैयार किया है, जिसमें लोगों को एक बूथ के अंदर जाकर तस्वीरें खिंचवाने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है और उन तस्वीरों को उसके बाद एक पुराने गोदाम की दीवारों या बोलेवार्ड की सतह पर चिपकाया जा रहा है।

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‘फोरो’ के कायल हुए विदेशी पर्यटक

आमतौर पर रियो को सांबा और बोसा नोवा जैसी महान संगीतकलाओं के लिए ही जाना जाता है, लेकिन ओलम्पिक पार्क में स्थानीय बैंड एवं डांस ग्रुप द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में बजने वाली फोरो संगीत कला ने यहां आने वाले कई पर्यटकों का दिल जीत लिया है। यह संगीत कला मुख्यत: पूर्वोत्तर ब्राजील में ज्यादा मशहूर है।

फोरो कारामुएला बैंड के कार्यक्रमों में कई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी यहां इसकी धुनों पर थिरकते दिख जाएंगे।

एक महान कलाकार के मुताबिक या तो पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षो में ब्रिटिश रेलवे के इंजीनियरों ने या फिर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिकी सैनिकों ने इस संगीत को ‘फॉर ऑल’ नाम दिया था।

फोरो बैंड में अरगन बजाने वाला, धातु का तिकोना वाद्य बजाने वाला और एक ड्रम बजाने वाला शामिल होता है। इनके अलावा इन बैंड में गायक और नृत्यकार भी शामिल होते हैं।

यह नृत्य सांबा से काफी मिलता जुलता है जिसमें सिर्फ दो ही स्टेप होते हैं।

–आईएएनएस