हांगकांग, 25 मई | हमारी रोमांटिक पसंद न सिर्फ भावनाओं के आधार पर निर्धारित होती है, बल्कि यह इस पर भी निर्भर करता है कि दूसरों की तुलना में हम कितना अमीर महसूस करते हैं। एक दिलचस्प अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक इस शोध के निष्कर्षो से पता चला है कि जो लोग ‘सशर्त समागम रणनीति’ में संलग्न होते हैं, वे रोमांटिक विकल्प के अलावा धन के आधार पर चयन करते हैं।
हांगकांग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डारियस चान का कहना है, “हम रोमांटिक संबंधों के विकास के धन के मनोवैज्ञानिक महत्व को समझना चाहते थे, क्योंकि इस विषय पर काफी कम जानकारी उपलब्ध है। इस तरीके से लोग अपने संबंधों जिसमें वे हैं उसके बेहतर परिप्रेक्ष्य को समझ सकते हैं।”
इस शोध के तहत कॉलेज जाने वाले चीनी छात्रों के दो समूह पर प्रयोग किया गया जो पहले से ही विषमलैंगिक दीर्घकालिक संबंधों में शामिल थे। उन जोड़ों को कहा गया कि अपने संसर्ग के व्यवहार की जांच के लिए अपने आप को अमीर या गरीब होने की कल्पना करें।
पहले अध्ययन में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने अमीर होने की कल्पना की थी, वे अपने को गरीब होने की कल्पना करने वालों के मुकाबले अपने साथी के शारीरिक आर्कषण से कम संतुष्ट थे और अल्पकालिक संबंधों के प्रति उत्सुक थे।
हालांकि जिन महिलाओं ने अपने आप को अमीर सोचा, उन्हें अपने पुरुष साथी के शारीरिक दिखावट को लेकर अधिक रुचि नहीं थी।
वहीं, दूसरे अध्ययन में सभी अमीर प्रतिभागियों ने पाया कि उनके लिए वित्तीय रूप से कमजोर वर्ग के पुरुषों के मुकाबले विपरित लिंग के आर्कषक सदस्य के साथ बातचीत करना ज्यादा आसान है।
हालांकि महिला और पुरुष चाहे अमीर हो या गरीब हमेशा आर्कषक साथी के चयन को ही उत्सुक होते हैं।
चान विस्तार से बताते हैं, “अमीर पुरुष अपनी साथी के शारीरिक आर्कषण को अधिक महत्व देते हैं और कम पैसे वाले पुरुषों की तुलना में वे अल्पकालिक संबंधों के प्रति अधिक उत्सुक होते हैं। हालांकि किसी रिश्ते में पड़ी महिला के लिए अमीर होने से उनके दीर्घकालिक संबंधों पर प्रभाव नहीं पड़ता।”
हालांकि यह अध्ययन किसी खास संस्कृति तक ही सीमित है, लेकिन इससे मानव संसर्ग के बारे में नई जानकारी मिली है। यह अध्ययन फ्रंटियर इन साइकोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
चान कहते हैं, “हम उम्मीद करते हैं कि हमारे अध्ययन दूसरी संस्कृतियों पर भी सच साबित होंगे। क्योंकि संसर्ग के लिए साथी ढूंढने का आधारभूत तरीका सभी संस्कृतियों में लगभग समान ही है।”
Follow @JansamacharNews