लगभग 15 लाख करोड़ रु. की लागत के रुके हुए 300 प्रोजेक्ट शुरू हुए : प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 09 मार्च (जनसमा)। ‘‘पिछले 10-20 साल से इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के कई प्रोजेक्ट छोटी-बड़ी प्रशासनिक बाधाओं के कारण रुके पड़े हुए थे। कई दिनों से उनका रिव्यू कर रहा हूँ। पता चला कि 300 प्रोजेक्ट रुके हुए थे जिनकी लागत लगभग 15 लाख करोड़ रुपए है। आज यह सभी प्रोजेक्ट चालू हो गए हैं।’’

यह बात बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कही।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन के चार पहलू हैं- पारदर्शिता, जिम्मेदारी, विकेन्द्रीकरण और प्रभावी वितरण या इफेक्टिव डिलीवरी। किसी भी व्यक्ति विशेष की इच्छा पर सरकार नहीं चलनी चाहिए। लेकिन पूर्व में ऐसा हुआ है। भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद ने शासन को जकड़ लिया था और दुनिया में छवि खराब हुई। सरकार नीतियों से चलनी चाहिए और उसमें पारदर्शिता होनी चाहिए। यही पारदर्शिता सुशासन की पहली शर्त है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन की दूसरा पहलू है जिम्मेदारी। प्रोजेक्ट शुरू तो हो गई लेकिन अटक गए। हमने कोशिश की, एकांउटिबिलिटी पर ज़ोर दिया और प्रोजेक्ट चालू हो गए।

सुशासन का तीसरा पहलू है विकेन्द्रीकरण। भारत जैसे विशाल देश में नीतिगत फैसलों के लिए सभी कुछ दिल्ली में केन्द्रित नहीं होना चाहिए और इसी दृष्टि से पर्यावरण और प्रशासन के क्षेत्र में 10 क्षेत्रीय कार्यालय खोले गए हैं। यह कार्यालय बुनियादी ढांचे से संबंधित कार्यों की अनुमति क लिए हैंे ताकि इन कार्यों की मंजूरी के लिए केंद्र का मुंह न देखना पड़े। इतना ही नहीं, नदी से बालू निकालने की जिम्मेदारी जिला अधिकारी को दी जाए।

उन्होंने बताया कि एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर के बुनियादी ढांचे से संबंधित प्रस्ताव ही अब कंेद्रीय मंत्रिमंडल के पास स्वीकृति के लिए आते हैं। इससे नीचे के प्रस्ताव क्षेत्रीय स्तर पर तय किए जाते हैं। खासकर रेलवे के टेंडर प्रक्रिया में ऐसा किया गया है।

प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा दो साल में किए गए विकास कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि हमें ग्लोबल स्टैंडर्ड के अनुसार काम करना चाहिए।

स्किल डेवलपमेंट की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 2014 में कौशल विकास मंत्रालय बनाया जिससे अब तक डेढ़ लाख अतिरिक्त छात्रों को ट्रेनिंग मिली है। डेढ़ साल में कौशल विकास में ढाई गुणा तरक्की हुई है। इसी कारण 2015 में इलेक्ट्राॅनिक उत्पादन में 6 गुणा बढ़ोत्तरी हुई है।

रोजगार मिलने में आ रही दिक्कतों को दूरे करने के लिए उन्होंने बताया कि सरकार ने अप्रेंटिसशिप या कार्य निपुणता की क्षमता का विस्तार किया है ताकि अधिक से अधिक लोगों का कौशल बढ़ाया जा सके और उनको शीघ्र ही रोजगार उपलब्ध हो सके।

उन्होंने बताया कि रोजगार को बढ़ाने के लिए लघु और मध्यम उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है इसलिए मुद्रा योजना शुरू की गई है। मुद्रा योजना का सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि मुद्रा बैंक का सबसे ज्यादा लाभ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को मिल रहा है।

किसानों के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि ‘सोइल हेल्थ कार्ड’ (मृदा स्वास्थ्य कार्ड) से कृषि की उत्पादकता बढ़ सकती है। उन्होंने किसानों को खेत की किनारों पर टिम्बर का उत्पादन करने की भी सलाह दी।