नई दिल्ली, 4 मई | लोकसभा में बुधवार को केंद्र सरकार को तब बेहद उलझन भरी स्थिति का सामना करना पड़ा, जब प्रश्नकाल के दौरान रेल मंत्रालय से संबंधित सवाल का जवाब देने के लिए सदन में न तो रेल मंत्री सुरेश प्रभु और न ही रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा उपस्थित थे। इसके कारण सदन में हंगामा हुआ और सरकार को माफी तक मांगनी पड़ी। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी कहा कि आगे से इस तरह की घटना नहीं होनी चाहिए।
प्रश्नकाल के दौरान, रेलवे मंत्रालय से संबंधित एक सवाल कार्यवाही सूची में 147 नंबर पर सूचीबद्ध था। 146 नंबर सवाल के पूरा होने के बाद अध्यक्ष ने 147 नंबर सवाल उठाया, जो रेल मंत्रालय की पहल ‘गो-इंडिया स्मार्ट कार्ड’ से संबंधित था।
सवाल का जवाब देने के लिए सदन में उस वक्त न तो सुरेश प्रभु और न ही मनोज सिन्हा उपस्थित थे।
टीवी फोटो : लोकसभा अध्यक्ष फाइल फोटो
इस हालात का मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कांग्रेस के सदस्यों ने जोरदार विरोध किया।
मंत्री की अनुपस्थिति का मामला उठाते हुए खड़गे ने सरकार से यह जानने की मांग की कि जब उनके मंत्रालय से संबंधित सवाल प्रश्न सूची में शामिल था, तब वे क्यों अनुपस्थित हैं?
खड़गे ने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब किसी सवाल के उठने पर संबंधित मंत्रालय के मंत्री सदन में अनुपस्थित हैं।
खड़गे ने कहा, “सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के लिए मंत्रियों को सदन में मौजूद होना चाहिए, लेकिन वे नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।”
लोकसभा अध्यक्ष ने भी मंत्रियों की अनुपस्थिति पर नाखुशी जाहिर की।
उन्होंने कहा, “मुझे सूचना मिली थी कि कैबिनेट मंत्री कहीं और व्यस्त हैं। राज्य मंत्री आए थे, लेकिन बाद में वह बाहर निकल गए। मंत्रियों को कार्यवाही के अंत तक सदन में मौजूद रहना चाहिए। ऐसा आगे से नहीं होना चाहिए।”
संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने मंत्रियों की अनुपस्थिति के लिए माफी मांगी और कहा कि ऐसा दोबारा नहीं होगा।
उन्होंने कहा, “माफ कीजिएगा, ऐसा दोबारा नहीं होगा। मंत्रियों को सदन में होना चाहिए। यह गलत है।”
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि रेल मंत्रालय से संबंधित सवाल को फिलहाल स्थगित कर किसी दूसरे दिन पूछा जाए।
प्रश्नकाल की शुरुआत के वक्त मनोज सिन्हा सदन में उपस्थित थे।
पहला सवाल रेल मंत्रालय से संबंधित था, जिसका सिन्हा ने जवाब दिया था। उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सदन में मौजूद थे।
सिन्हा इसलिए सदन से चले गए, शायद उन्हें लगा कि सवाल संख्या 147 आएगा नहीं।
प्रभु बाद में सदन में पहुंचे और गलती के लिए माफी मांगी।
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