लोकसभा में सूखा व जल संकट का मुद्दा गूंजा

नई दिल्ली, 26 अप्रैल | देश में, खासकर महाराष्ट्र के लातूर जिले में सूखे और जल संकट का मुद्दा मंगलवार को लोकसभा में गूंजा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा जिले में हालात ‘भयंकर’ हैं। केंद्र व राज्य सरकार, दोनों ही हालात से निपटने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।

सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने आठ जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है। उन्होंने कहा कि 2,306 गांवों की हालत बेहद गंभीर है।

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने बाद में आईएएनएस से कहा कि महाराष्ट्र के जिले खासकर औरंगाबाद, लातूर, बीड, उस्मानाबाद, परभनी, हिंगोली, नांदेड़ तथा जलना सूखे से गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

कांग्रेस सांसद एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि तदर्थवाद, सूखा और जल संकट का हल नहीं है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली ने कहा कि देश में जल संकट के मद्देनजर, सरकार राष्ट्रीय आपदा नियमावली में बदलाव लाने पर विचार कर सकती है।

बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद कलिकेश सिंह देव ने कहा कि अधिकांश मामलों में विभिन्न राज्यों की मांग की तुलना में केंद्र सरकार की सहायता बेहद अल्प होती है।

देव ने कहा कि प्रभावित लोगों को राहत, मुआवजा तथा अन्य सहायता प्रदान करने में आ रही कमी ओडिशा सरकार के लिए मुसीबत बनी हुई है।

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद सभी राज्यों को सूखा राहत आवंटन में काफी वृद्धि हुई है।

उन्होंने कहा, “हमने कर्नाटक, ओडिशा तथा अन्य राज्यों को साल 2011-12 की तुलना में अधिक राशि आवंटित की है।”

सिंह द्वारा यह कहे जाने पर कि महाराष्ट्र में बड़े-बड़े बांधों का निर्माण केवल चीनी मिलों के फायदे के लिए हुआ है, सत्ता व विपक्ष में तीखी नोकझोंक हुई।

कृषि मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान कहा, “मैं भी मांग करता हूं कि इस पर चर्चा होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “बड़े-बड़े बांधों का निर्माण केवल चीनी फैक्ट्रियों के फायदे के लिए हुआ है। किसानों की बिल्कुल ही चिंता नहीं की गई है।”

उनकी इस टिप्पणी के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सदस्य सुप्रिया सुले व कांग्रेस के सदस्य भड़क गए।

सिंह ने कहा, “इसका अर्थ तो यही है कि आप सभी में सच्चाई का सामना करने का साहस ही नहीं है।”

(आईएएनएस)