दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोई प्रशासन नहीं है और लोग अरविंद केजरीवाल सरकार की नीतियों से परेशान हैं।
आईएएनएस को दिए गए एक साक्षात्कार में तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वे उपराज्यपाल के साथ लगातार टकराव की नीति पर हैं और विकास पर उनका ध्यान नहीं है।
शीला ने अपने हजरत निजामुद्दीन इलाके में स्थित अपने आवास पर दिए साक्षात्कार में कहा, “पिछले एक साल में कुछ भी नहीं हुआ है। दिल्ली के लोग आप सरकार की नीतियों से परेशान हैं। वे हर दूसरे दिन घोषणाएं करते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं होता। दिल्ली में कोई प्रशासन नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार और उपराज्यपाल (एलजी) नजीब जंग के बीच के झगड़े को दिल्ली के लोग भुगत रहे हैं।
शीला दीक्षित को आप के अरविंद केजरीवाल ने 2013 में सत्ता से बेदखल कर दिया था।
शीला ने कहा, “जब केजरीवाल ने राजनीति में आने का फैसला किया था, तब उन्हें पता होना चाहिए था कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। अब वे सत्ता में हैं तो उन्हें ऐसे झगड़ों में नहीं उलझना चाहिए। दिल्ली के लोग इसे भुगत रहे हैं, क्योंकि उनकी समस्याओं को समाधान नहीं हो रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली का विकास सहयोग से ही हो सकता है, किसी टकराव से नहीं।”
शीला ने यह भी कहा कि आप की दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग ‘तर्कसंगत’ नहीं है और यह अपनी गलतियों को ‘छुपाने’ का बहाना है।
दीक्षित ने कहा, “पूर्णराज्य की मांग करना सही है। लेकिन यह यथार्थपरक नहीं है, क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है। सांविधानिक रूप से दिल्ली को पूर्णराज्य का दर्जा दिया जाना संभव नहीं है, क्योंकि इसको लेकर संविधान में प्रावधान किए गए हैं। यह सिर्फ सरकार के लिए काम न करने का बहाना है और अपनी विफलता को छुपाने का एक बहाना है।”
अपने मुख्यमंत्रित्वकाल के दौरान दीक्षित ने भी दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग की थी और कहा था कि यहां विकास की धीमी गति का मुख्य कारण विभिन्न एजेंसियों के बीच टकराव का होना है।
यह पूछे जाने पर कि 2013 में उनकी हार के क्या कारण थे, शीला ने केंद्र में कांग्रेसनीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को “केंद्र सरकार में की गई दूसरों की गलतियों की कीमत चुकानी पड़ी।”
शीला ने कहा, “हमें दूसरों के द्वारा किए गए कार्यो की कीमत चुकानी पड़ी। हम दिल्ली में सत्ता में थे तो स्वाभाविक रूप से (भ्रष्टाचार के आरोपों) का सीधा असर हम पर पड़ा, क्योंकि लोगों ने सोचा कि दिल्ली सरकार भी भ्रष्ट होगी। केंद्र सरकार के स्तर पर जो भी हुआ उसका असर दिल्ली पर भी पड़ा।”
उन्होंने कहा कि जनता 2013 के चुनाव प्रचार में केजरीवाल के मुफ्त के वादे के ‘बहकावे’ में आ गई।
उन्होंने कहा, “हम लगातार तीन बार से सत्ता में थे, तो जाहिर है कि लोग बदलाव चाहते थे और ज्यादातर मतदाता अरविंद केजरीवाल के मुफ्त बिजली-पानी के झांसे में आ गए। लेकिन अब हर कोई अपने मत को लेकर पछता रहा है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या 2013 के चुनाव प्रचार में आप के असर को पहले से भांपा था, शीला ने कहा कि जब आम आदमी पार्टी ने उनकी तस्वीर का इस्तेमाल भ्रष्ट के तौर पर किया तो उसके खिलाफ अदालत नहीं जाना उनकी एक बड़ी ‘गलती’ थी।
उन्होंने कहा, “चुनाव के खत्म होने तक मैं समझ गई थी कि आप ने एक प्रभाव छोड़ा है, क्योंकि हर कोई इसी के बारे में बात कर रहा था। लेकिन उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में मेरी तस्वीर दिखाकर मुझे भ्रष्ट बताया। मुझे उन्हें अदालत में खींचना चाहिए था। मैं इसे समझ नहीं पाई क्योंकि मैं चुनावों में व्यस्त थी। यह एक गंभीर गलती थी।”
शीला दीक्षित ने हाल में पांच राज्यों मेंहुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर पार्टी में ‘बदलाव’ की बात कही।
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पार्टी को बेहतर तरीके से खुद को व्यवस्थित करने की जरूरत है। पार्टी को नए चेहरों को लाने की जरूरत है। कई लोग हैं जो महासचिव के पद पर सालों से जमे हुए हैं। उन्हें हटाकर युवाओं को लाया जाना चाहिए।”
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