जयपुर, 24 जून (जनसमा)। सदियों से पानी की समस्या से जूझ रही मरुधरा राजस्थान के इतिहास में यह पहला मौका है जब बारिश का इतना बेसब्री से इंतजार हो रहा है जैसा पहले कभी नहीं रहा। अबकि बार पूरा का पूरा राजस्थान जैसे उठ खड़ा हुआ है वर्षाऋतु की जोरदार अगवानी में। हर तरफ उल्लास का माहौल पसरा हुआ है। पूरे उत्साह और उमंग के साथ राजस्थान प्रदेशवासी उत्सुक हैं बारिश के स्वागत में। प्रदेश का कोना-कोना इस बार पावस से खुशहाली पाने के स्वप्नों में रमा हुआ है। जन समुदाय अब अहर्निश इसी तीव्रतर प्रतीक्षा में है कि बारिश कब हो, और अर्से से प्यासी धरा सरसब्ज हो।
बात मैदानी हिस्सों की हो, रेगिस्तानी इलाकों की, या फिर पहाड़ी क्षेत्रों की। राजस्थान भर की सरजमीं पूरे उत्साह से आतुर है पानी भरे बादलों से आलिंगन को। नदी-नालों, झील-तालाबों से लेकर कूओं-बावड़ियों और तमाम नए-पुराने जलाशयों का उछाह भी कोई कम नहीं। उछाले मारती यह आतुरता, उत्साह और उमंग हो भी क्यों न, इस बार राजस्थान ऎसा अपूर्व स्वर्णिम इतिहास रचने जा रहा है जो सदियों तक पानी की आत्मनिर्भरता का पैगाम गूंजाता रहेगा। प्रदेश सरकार की ओर से राजस्थान को पानी के मामले में हर दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के महत्वाकांक्षी प्रयासों का साकार स्वरूप दिखा रहे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ने प्रदेश का कायाकल्प ही कर दिया है।
समूचे राजस्थान में बरसाती जल के संग्रहण के लिए लाखों छोटी-बड़ी जल संरचनाओं का सृजन हुआ है, पुराने और परंपरागत जल स्रोतों को आबाद किया गया है। प्रदेश भर में पुख्ता इंतजामों के साथ पूरी दूरदर्शिता और उपयोगिता को ध्यान में रखकर ऎसा जबर्दस्त काम किया गया है कि वर्षा का जल स्थानीय स्तर पर अधिक से अधिक संग्रहित हो, जल भण्डार समृद्ध हों ताकि साल भर पानी की उपलब्धता बनी रहे और भूमिगत जलस्तर में उत्तरोत्तर अभिवृद्धि हो। इससे राजस्थान में पानी की समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा।
आने वाले समय में अभियान के शेष चरणों में सभी इलाकों में जल संरक्षण कार्य पूर्ण हो जाने के बाद राजस्थान जल संकट के कलंक से हमेशा-हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा।
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा ऎतिहासिक एवं तीव्रतर विकास के साथ ही राजस्थान की देश व दुनिया में इन्द्रधनुषी विकासकारी पहचान बनाने की दिशा में किए जा रहे अनथक प्रयासों की श्रृंखला में यह बहुद्देश्यीय अभियान आशातीत सफलता पा चुका है। इस अभियान को लेकर प्रदेश भर के लोगों की उत्साही और स्वैच्छिक भागीदारी ने रिकार्ड कायम किया है। हालांकि अभियान के प्रथम चरण की पूर्णता का यह अंतिम सप्ताह चल रहा है लेकिन राज्य में लगभग सभी स्थानों पर इस अभियान के कार्यों ने पूर्णता पा ली है।
प्रदेश में मानसून पूर्व की बारिश में कई स्थानों पर अभियान में निर्मित जल संरचनाओं में जल संग्रहण आरंभ हो चुका है। यह अभियान की अप्रत्याशित सफलता का शुभ संकेत है। बरसात के बाद परम्परागत जलाशयों और अभियान की बदौलत सामने आए नवीन और जीर्णोद्धारित जलस्रोतों में संग्रहित होकर वर्ष भर संचित रहने वाली जलराशि ग्रामीणों, मवेशियों व वन्य जीवों सभी के लिए उपयोगी और जीवनदायी सिद्ध होगी।
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