मुंबई, 3 अप्रैल(जनसमा )। विकसित देशों के द्वारा पिछले 150 वर्षों में अनियंत्रित कार्बन उर्त्सजन के कारण तापमान में 1 डिग्री की वृद्धि जलवायु परिवर्तन की वास्तविकता है। इस कार्बन उर्त्सजन में अमेरिका का संचयी योगदान 30 प्रतिशत, यूरोप, कनाडा और अन्य विकसित देशों का 50 प्रतिशत और चीन का 10 प्रतिशत है जबकि भारत का मात्र 3 प्रतिशत है।
मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘सीओपी 21-सहक्रिया निर्माण, कार्य प्रक्रियाओं को आकार’ संगोष्ठी में शनिवार को अपने विचार व्यक्त करते हुए वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सभी देशों ने अपनी अलग-अलग जिम्मेदारियों के साथ एक समान हरित मार्ग पर चलने का फैसला किया है।
जावडेकर ने कहा कि हालांकि भारत इस समस्या का हिस्सा नहीं है, लेकिन वह इसके समाधान का हिस्सा होना चाहता है। हमारी प्रतिबद्धता सरकार द्वारा अपनाए जा रहे हर कार्यक्रम में परिलक्षित होती है।
उन्होंने कहा कि भारत ने कोयले पर प्रति टन 400 रुपये हरित उपकर लगाकर कार्बन को कम करने की दिशा में जीवाष्म ईंधन के उपयोग को घटाने के लिए पूर्व-सक्रिय उपाय अपना लिए हैं। यदि विकसित दुनिया भी भारत के उदाहरण का अनुसरण करती है और कोयले पर उच्चतर कर लगाती है तो स्वच्छ ऊर्जा कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर प्राप्त होंगे।
जावडेकर ने कि भारत 100 अन्य देशों के साथ 22 अप्रैल को वैश्विक जलवायु समझौते सीओपी 21 की अभिपुष्टि करेगा।
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