नई दिल्ली, 03 फरवरी (जनसमा)। ‘कृषि जिंसों के लिए आवश्यक समझा जाने वाला विकसित वायदा बाजार किसानों के लिए अहम साबित होगा। इससे किसानों को अपने उत्पादों का उचित मूल्य पाने में मदद मिलेगी। इस प्रणाली की बदौलत किसानों के सामने आने वाली कीमतों में उतार-चढ़ाव की समस्या ज्यादा गंभीर नहीं होगी।’
केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज यहां एसोचैम द्वारा आयोजित किये जाने वाले 14वें जिंस वायदा शिखर सम्मेलन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर एक कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा ‘कृषि क्षेत्र से जुड़ी बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर भारतीय किसान छोटे एवं सीमांत हैं और वे संबंधित सौदे सही ढंग से करने में समक्ष नहीं होते हैं। वे कारोबारी सौदे कम लाभ वाले बाजारों में करते हैं और इस तरह विपणन को लेकर सीमित जागरूकता के चलते शोषण के शिकार हो जाते हैं।’
मौजूदा समय में भारत में 22 पंजीकृत बाजार हैं। भारत ने तीन राष्ट्र स्तरीय मल्टी कमोडिटी एक्सचेंजों को मान्यता दी है। ये हैं दृ मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (एमसीएक्स), नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) और नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड (एनएमसीई)।’
उन्होंने कहा कि इस सीरीज में इस तरह के किसान चूंकि वायदा बाजार में सीधे शिरकत नहीं कर सकते, इसलिए ऐसी स्थिति में भी उनके लाभान्वित होने की पूरी संभावना है, क्योंकि बाजार में समय-समय पर मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव से संबंधित अंतर कम हो जाएंगे और फसल कटाई के बाद बाजार में अक्सर लगने वाले झटकों का सामना किसानों को नहीं करना पड़ेगा।’
सिंह ने कहा, ‘यह देश के आर्थिक परिदृश्य के लिए अच्छा संकेत है कि एसोचैम उत्कृष्ट तकनीकों को अपनाकर कृषि क्षेत्र में नई जान फूंकने में दिलचस्पी दिखा रहा है, ताकि कृषि क्षेत्र के उत्पादन में बेहतरी लाई जा सके। आज की कांफ्रेंस का मकसद इस खास विषय पर विचारों का आदान-प्रदान करना था कि जिंस वायदा बाजार किस तरह मूल्य संबंधी संतुलन एवं खतरों के लिहाज से माकूल हो सकता है।
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