नई दिल्ली, 17 जनवरी । पंचायती राज मंत्रालय 18 जनवरी से ‘वित्तीय विकेंद्रीकरण और राज्य वित्त आयोगों की भूमिका’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। कार्यशाला में सभी राज्य वित्त आयोगों के अध्यक्षों और सदस्यों, राज्यों के पंचायती राज और वित्त सचिवों, वित्तीय विकेंद्रीकरण और स्थानीय निकायों को हस्तांतरण पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है। इस कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय पंचायती राज, ग्रामीण विकास और पेयजल तथा स्वच्छता मंत्री बिरेंदर सिंह करेंगे।
संविधान में 73वें और 74वें संशोधनों के द्वारा पंचायतों और नगरपालिकाओं को स्थानीय स्वयंशासी संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है। संविधान में राज्यों को कानून द्वारा इन संस्थाओं को जैसा संविधान की 11वीं और 12वीं अनुसूची में प्रदर्शित किया गया है, को हस्तांतरण भी प्रदान किया गया है।
सामान्य तौर पर जहां राज्यों ने इन पंचायती राज संस्थाओं को अधिकतर कार्यों का बंटवारा कर दिया है, वहीं महत्वपूर्ण बजट और कार्यों का हस्तांतरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। इन स्थानीय निकायों के खुद के राजस्व स्रोत बहुत कम हैं और वह राज्यों, राज्य सरकारों और वित्त आयोगों से बजट के हस्तांतरण पर निर्भर है।
वर्तमान में पंचायतों को कर और गैर कर शक्तियों से सुनिश्चित करने की तुरंत आवश्यकता है। इसके साथ ही वित्तीय शक्तियों के प्रभावी इस्तेमाल को सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। स्वयं राजस्व बढ़ाना पंचायती संस्थाओं की स्वायत्तता, जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाने के लिए अति आवश्यक है। इसलिए वित्तीय विकेंद्रीकरण को पंचायतों की वित्तीय संसाधन के विस्तृत प्रणाली के रूप में देखा जाना चाहिए, ताकि व्यय को बजट के हस्तांतरण से जोड़ा जा सके।
राज्य वित्त आयोगों की क्षमताओं और सुचारू संचालन पर तेजी से चिंताएं बढ़ी हैं। कई राज्य वित्त आयोगों में कर्मचारियों की कमी है और वे आधारभूत सुविधाओं और संसाधनों से विहीन हैं। पंचायतों के विभिन्न आंकड़े राज्य वित्त आयोगों को निर्णय लेने और इस संबंध में सिफारिशें करने में अप्रभावी हैं।
राज्य वित्त आयोगों की जवाबदेही बढ़ाने की मूल जिम्मेदारी राज्यों की है। इसलिए राज्य वित्त आयोगों को मजबूत करने और उनकी कार्यप्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है। दिसंबर 2014 मे सौंपी गई 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में राज्य वित्त आयोगों की भूमिका से संबंधित कई टिप्पणियां की गई थीं।
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