नई दिल्ली, 22 सितंबर। विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने राज्यसभा के सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग की है।
कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि उनकी पार्टी अन्य समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के साथ संसद का बहिष्कार करेगी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कोविद -19 के कारण असाधारण परिस्थितियों में आयोजित हो रहे संसद के मानसून सत्र के बहिष्कार के अपने निर्णय के लिए कई कारण बताए।
कांग्रेस के प्रवक्ता सुरजेवाला कहना है कि संसद के अंदर उनके नुमाईंदों की आवाज दबाई जा रही है। नरेन्द्र मोदी जी की सरकार, बंदी सरकार बन गई है। पहले नोटबंदी की, उसके बाद जीएसटी लाकर व्यापार बंदी की, उसके बाद लॉकडाउन लगाकर देशबंदी की और अब खेत और खिलहान बंदी करने की तैयारी है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दिशा-निर्देश पर एक व्यापक जन आंदोलन की तैयारी कर ली है और उस जन आंदोलन के कई चरण होंगे।
विपक्षी नेता ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार द्वारा हाल ही में पेश किए गए बिलों को पारित नहीं किया गया है, बल्कि ’बुलडोज़र’ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयकों को आगे की समीक्षा के लिए चुनिंदा पैनलों के लिए भेजा जाना चाहिए।
राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान रविवार को, कई सांसदों ने कृषि विधेयक पारित कराये जाते समय हंगामा किया था।
राजनाथ सिंह ने भी हंगामे की निंदा की और कहा कि इस घटना ने पूरे देश के सामने संसद की छवि को चोट पहुंचाई है।
कृषि विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष आमने सामने है। सभी आठ सांसद रात भर संसद परिसर में धरने पर बैठे रहे। विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और कृषि बिल को वापस लेने की मांग की है। विपक्ष् का कहना है कि जब तक उनकी तीन मांगे पूरी नहीं होतीए तब तक राज्यसभा का बहिष्कार जारी रखेंगे।
Follow @JansamacharNews