नई दिल्ली, 4 अप्रैल | आभूषणों पर एक फीसदी उत्पाद कर लगाए जाने के विरोध की पृष्ठभूमि में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि विलासिता की वस्तुओं को अप्रत्यक्ष कर से बाहर रखने पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) को 17-18 प्रतिशत के दायरे में रख पाना मुश्किल होगा। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सत्र का उद्घाटन करते हुए जेटली ने यह बात कही।
इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने गैर-चांदी आभूषणों पर एक प्रतिशत उत्पाद कर लगाने का प्रावधान किया है, जिसके विरोध में सर्राफा कारोबारी हड़ताल पर हैं।
जेटली ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने जीएसटी को 18 फीसदी तक सीमित रखने की सलाह दी है, जिससे प्रणाली में खामी रह जाएगी। इससे नुकसानदेह और विलासिता वस्तुओं पर कर की दरें कम हो जाएंगी, जबकि इन वस्तुओं पर कर की दरें अधिक होनी चाहिए।
जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बुरे ऋणों का भी उल्लेख किया। उन्होंने विजय माल्या जैसे लोगों के नाम लिए बिना कहा कि भारतीय उद्योग जगत अपनी साख की एक बड़ी लड़ाई लड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “विश्वसनीयता और पारदर्शिता उद्योग जगत का सार होना चाहिए। उद्योग जगत के नेतृत्व का दृष्टिकोण भी सकाररात्मक और विश्वसनीय होना चाहिए।”
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