अगरतला, 23 अक्टूबर | त्रिपुरा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुभाशीष तलपात्रा ने कहा कि भारत में चुनावी भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की संख्या विश्व में सबसे ज्यादा होने का रिकॉर्ड है। यहां शनिवार रात एक सेमिनार को संबोधित करते हुए न्यायाधीश तलपात्रा ने कहा कि इस तरह के मामलों में ‘चुनावी भ्रष्टाचार और कई तरह की चुनावी बेईमानी’ शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “चुनावों के दौरान, कई उम्मीदवार या नेता कई तरह के चुनावी भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से कोई राजनीतिक दल इस तरह के लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है। ”
उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बना देने से चुनावी भ्रष्टाचार को नहीं रोका जा सकता, जब तक कि लोग और राजनीतिक दलों के नेता सुधारात्मक कदम नहीं उठाते।
एक सकारात्मक टिप्पणी करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की चुनावी प्रक्रिया में लोगों की बढ़ती हुई हिस्सेदारी एक अच्छा संकेत है।
एक मतदान केन्द्र पर मतदाताओं की कतारें:फाइल फोटो
उन्होंने कहा, “कुछ दशक पहले 30 से 35 प्रतिशत लोग मतदान में हिस्सा लेते थे। साल 2014 के लोकसभा चुनावों में 65 से 75 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। ”
उन्होंने त्रिपुरा के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर राज्य के 90 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का बीते कई चुनावों से प्रयोग कर रहे है।
‘निहारिका’ प्रकाशन द्वारा आयोजित सेमिनार में मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने चुनावी भ्रष्टाचार और दूसरे दुराचरण की जांच के लिए राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के चुनावी खर्चे सरकार द्वारा वहन किए जाने की बात कही।
पूर्व चुनाव अधिकारी हिरण्यमय चक्रवर्ती द्वारा भारतीय चुनाव प्रणाली पर लिखी एक किताब का विमोचन करते हुए सरकार ने कहा कि मतदान के दिन ही मतगणना कराए जाना का प्रस्ताव उत्तम है। बहुत लंबी चुनाव प्रक्रिया विकास को रोकती है और कभी-कभी कानून व्यवस्था की समस्या भी पैदा करती है। –आईएएनएस
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