नई दिल्ली, 11 मार्च (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यमुना तट पर श्री श्री रविशंकर के मार्गदर्शन में आर्ट आॅफ लिविंग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘ विश्व सांस्कृतिक समारोह’ में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि यह कला का कुंभ मेला है। भारत के पास ऐसी समृद्धि है कि यहां कला पूर्णतः विकसित हुई है।
उन्होंने कहा ‘भारत की धरती ऐसी है जहां हर प्रहर का संगीत अलग है। सुबह का अलग है, शाम का अलग है। बाजार में दुनिया में तन को डुलाने वाला संगीत भरा पड़ा है किंतु मन को डुलाने वाला संगीत हिन्दुस्तान में है। संगीत की साधना ऐसी है जो दुनिया का मन डुला सकती है। जब कला के द्वारा किसी देश को देखा जाता है तो उस देश की अंतर्भूत ताकत का पता चलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा “देश और दुनिया से आए सभी मेहमानों का मैं भारत की धरती पर स्वागत करता हूं। भारत इतनी विविधताओं से भरा हुआ है कि विश्व को देने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है। दुनिया सिर्फ आर्थिक दृष्टि से ही जुड़ी है, ऐसा नहीं है। दुनिया मानवीय मूल्यों से भी जुड़ सकती है, जोड़ा जा सकता है और जोड़ना चाहिए भी।”
“भारत के पास वह सांस्कृतिक विरासत और अधिष्ठान हैं जिसकी तलाश दुनिया को है। हम दुनिया की उस आवश्यकता को किसी न किसी रूप में परिपूर्ण कर सकते हैं। यह तब हो सकता है जब हमें हमारी महान विरासत पर अभिमान हो। हम अपनी हर चीज की बुराई करते रहेंगे तो दुनिया हमारी ओर क्यों देखेगी।”
प्रधानमंत्री ने श्री श्री रविशंकर का अभिनंनदन करते हुए कहा कि 35 साल के अल्प समय में 150से ज्यादा देशों में ‘आर्ट आॅफ लिविंग’ फैल चुका है और उन देशों को अपना बना चुका है। आॅर्ट आॅफ लिविंग के माध्यम से भारत की पहचान कराने में श्री श्री ने योगदान दिया है।
प्रधानमंत्री ने अपनी मंगोलिया यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि वहां मेरा एक स्टेडियम में आर्ट आॅफ लिविंग के सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया था। उसमं भारतीय बहुत कम थे किंतु स्टेडियम मंगोलियन नागरिकों से भरा हुआ था। तिरंगा हाथ में लेकर सभी भारत का परिचय करा रहे थे। यह अपने आप में प्रेरक था। राजशक्ति राजसत्ता के द्वारा ही नहीं, ऐसे ‘साॅफ्ट पावर’ भी एक बड़ी भूमिका अदा करती है।
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम की शुरूआत से पहले हुई बारिश का नाम लिए बगैर कहा कि प्रकृति ने भी कसौटी कसी।यही तो आर्ट आॅफ लिविंग है। सुविधा और सरलता में जीने की यही कला है। जब आप अपने इरादों को लेकर चलते हैं, संघर्ष और संकटों में घिरे होते हैं और सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो वही आर्ट आॅफ लिविंग है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम ‘अहम ब्रह्मास्मी’ से शुरू करते हैं और ‘वसुधैवकुटुम्बकम्’ को मानते हैं, यही आर्ट आॅफ लिविंग है। उपनिषद से उपग्रह तक की हमने यात्राए की हैं।यही कला हमें ऋषि-मुनियों ने सिखाई है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में ‘आर्ट आॅफ लिविंग’ के साधकों, कार्यकर्ताओं, कलाकारों और सभी मेहमानों को ऐसे आयोजन के लिए धन्यवाद दिया।
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