शिमला, 21 मई (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि राज्य की संस्कृति, इतिहास व रीति रिवाजों पर प्रकाशित पुराने प्रकाशन वर्तमान में भी सार्थक हैं और अनुसंधान के लिए इनका आज भी प्रयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि इनका पुनः प्रकाशन किये जाने की आवश्यकता है, ताकि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक एवं धार्मिक धरोहर के बारे में लोगों, विशेषकर युवाओं को अवगत करवाया जा सके। मुख्यमंत्री शनिवार को गेयटी थियेटर में भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग, भाषा अकादमी तथा भारतीय राष्ट्रीय पुस्तक न्यास सहयोग से ‘जीनियस हाईव पब्लिकेशनस’ के बैनर के अन्तर्गत लगाए ‘पुस्तक मेले’ के शुभारम्भ अवसर पर बोल रहे थे।
इस पुस्तक मेले में पुणे, दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, पंचकुला और शिमला के 25 प्रकाशन हाउस भाग ले रहे हैं, इसमें हर आयु वर्ग के लोगों के लिए अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, हिन्दी तथा क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी तथा भाषा एवं संस्कृति विभाग के प्रकाशन भी इस मेले में प्रदर्शित किए गए हैं।
इस अवसर पर लेखकों व कवियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें ‘आधुनिक हिमाचल’ के बदलते दौर पर लेख लिखने का आग्रह किया। उन्होंने लेखकों से पुराने हिमाचल तथा आधुनिक प्रदेश में हुए परिवर्तनों व अभूतपूर्व विकास के बारे में लिखने की सलाह दी ताकि वर्तमान पीढ़ियों को भी पुराने व नये हिमाचल के बारे जानकारी प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि पुस्तकें हमारी सच्ची साथी हैं, जो हमें ज्ञान देती हैं। उन्होंने कहा कि यद्यपि आज के युग में इन्टरनेट एक क्रांतिकारी पहल है फिर भी पुस्तकों का अपना ही महत्व होता है। वीरभद्र सिंह ने ‘जीनियस हाइव पब्लिकेशनस’ द्वारा हर वर्गों के लोगों के लिए पुस्तकों की बिक्री के लिए लगाई गई प्रदर्शनी के लिए उनके प्रयासों की सराहना की। मुख्यमंत्री पुस्तक मेले का दौरा किया और इसमें गहरी रूचि दिखाई।
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