शिमला, 05 फरवरी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वास्थ्य विभाग से कहा कि राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की स्थापना के लिए आबादी के मानदंडों में छूट के बारे में विचार किया जाना चाहिए। वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना के लिए 30 हजार और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए 80 हजार से एक लाख की आबादी के मानदण्ड निश्चित हैं। मुख्यमंत्री ने किसानों को सिंचाई सुविधाएं प्रदान करने के लिए टयूबवैलों के निर्माण की योजना बनाने को भी कहा।
मुख्यमंत्री आज यहां विधायक प्राथमिकता निर्धारण के दूसरे दिन प्रातःकाल सत्र में कांगड़ा, लाहौल व स्पीति और किन्नौर जिलों के विधायकों की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
कुछ विधायकों द्वारा वन अधिकार अधिनियम के कारण उनके विकास कार्यों में आ रहे व्यवधान को लेकर उठाई गई आप्पतियों पर अपनी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री ने कहा कि वन क्षेत्र में एक हेक्टेयर की सीमा तक 13 सूचीबद्ध विकास गतिविधियां कार्यान्वित की जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि एक हेक्टेयर तक वन भूमि को विकास परियोजनाओं के लिए परिवर्तित किया जा सकता है और इसके लिए सम्बन्धित वन अधिकारी को शक्तियां प्रदान की गई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य सरकार को भी क्षेत्र विशेष में विकासात्मक गतिविधियों के लिए एक हेक्टेयर भूमि को परिवर्तित करने की शक्तियां हैं।
वन अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सम्बद्ध 13 विकास गतिविधियों में से कुछ स्कूल भवनों, सड़कों, सिंचाई नहरों, आंगनवाडि़यों और औषधालय अथवा अस्पताल, उचित मूल्य की दुकानों, वर्षा जल संग्रहण ढांचे, कौशल उन्नयन अथवा व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र, सामुदायिक केन्द्र, टैंक तथा अन्य छोटी वाटर बाॅडीज का निर्माण शामिल है।
पिछले कल आयोजित बैठक में कुछ विधायकों ने आपत्ति दर्ज की कि अधिकांश विकास कार्यों में वन स्वीकृतियों के कारण देरी हो रही है तथा समय के साथ परियोजना की लागत भी बढ़ रही है। राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में यह भी अवगत करवाया कि हिमाचल देश का पहला राज्य है जहां लोगों के सभी वन अधिकारों का निपटारा किया गया है।
बैठक में विस्तारपूर्वक चर्चा की गई कि बड़ी पेयजल अथवा सिंचाई योजनाओं, जो पूरा होने में लम्बा समय लेती हैं, के बजाय छोटी बस्तियों अथवा गांवों के समूह बनाकर लोगों की पेयजल जरूरतों को पूरा करने के लिए हैंडपम्प उपलब्ध करवाए जा सकते हैं। कृषि विभाग के सभी 22 हैंडपम्पों को सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत लाने पर भी चर्चा की गई ताकि इनका समुचित उपयोग किया जा सके। राज्य में सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के लगभग 807 टयूबवैल हैं, जिनके संचालन के लिये तकनीकी रूप से सक्षम पर्याप्त मानव शक्ति को तैनात किया जा सकता है।
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