मुंबई, 1 अक्टूबर | इस सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण कमजोर वैश्विक संकेत और भूराजनीतिक चिंताएं रही। इस दौरान सेंसेक्स 28,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे गिर गया। सप्ताह के दो दिन बाजार में तेजी रही और तीन दिन गिरावट देखी गई। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा के पार बुधवार की रात को सर्जिकल स्ट्राइक किया, जिसमें कई आतंकवादी मारे गए और सैंकड़ों घायल हुए। उसके बाद गुरुवार को विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय की संयुक्त प्रेस वार्ता में इस हमले की जानकारी दी गई। इसके बाद शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 555 अंक गिरकर 27,920 आ गया जबकि निफ्टी 170 अंक टूटकर 8,550 पर आ गया।
शुक्रवार को खत्म हुए कारोबारी सप्ताह में सेंसेक्स 802.26 अंको या 2.79 फीसदी गिरकर 27,865.96 पर और निफ्टी 220.40 अंकों या 2.49 फीसदी गिरकर 8,611.15 पर बंद हुआ। वहीं, बीएसई के मिडकैप सूचकांक 165.29 अंकों या 1.23 फीसदी गिरकर 13,166.68 पर और स्मॉलकैप 178.10 अंकों या 1.37 फीसदी गिरकर 12,780.80 पर बंद हुआ।
सोमवार को सेंसेक्स 373.94 अंकों या 1.3 फीसदी गिरकर 28,294.28 पर और मंगलवार को सेंसेक्स 70.58 अंकों या 0.25 फीसदी गिरकर 28,223.70 पर बंद हुआ। वहीं, बुधवार को सेंसेक्स में तेजी आई और यह 69.11 अंकों या 0.24 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 28,292.81 पर बंद हुआ। गुरुवार को बाजार में सर्जिकल स्टाइक के कारण तेज गिरावट देखी गई और सेंसेक्स 465.28 अंकों या 1.64 फीसदी की गिरावट के साथ 27,827.53 पर बंद हुआ।
हालांकि शुक्रवार को सेंसेक्स में थोड़ी तेजी देखने को मिली और यह 38.43 अंकों या 0.14 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 27,865.96 पर बंद हुआ।
इस सप्ताह सभी प्रमुख शेयरों में गिरावट देखी गई। इनमें अडाणी पोर्ट्स (6.72 फीसदी), हिन्दुस्तान यूनीलीवर (4.66 फीसदी), एचडीएफसी (2.21 फीसदी), आईटीसी (4.84 फीसदी), रिलायंस इंडस्ट्रीज (1.89 फीसदी), एक्सिस बैंक (2.78 फीसदी), आईसीआईसीआई बैंक (7.17 फीसदी), एचडीएफसी बैंक (3.15 फीसदी), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (1.45 फीसदी), मारुति सूजुकी (2.19 फीसदी), बजाज ऑटो (3.22 फीसदी), टाटा मोटर्स (3.36 फीसदी), हीरो मोटोकॉर्प (3.32 फीसदी), महिंद्रा एंड महिंद्रा (0.25 फीसदी), भारती एयरटेल (4.09 फीसदी), सिप्ला (5.05 फीसदी), डॉ रेड्डी (2.27 फीसदी), सन फार्मा (4.79 फीसदी), ल्यूपिन (0.22 फीसदी), एलएंडटी (4.35 फीसदी) प्रमुख रहे।
केंद्र सरकार ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति के गठन को अनुसूचित किया। इस समिति में देश के शीर्ष शिक्षण संस्थानों के तीन विद्वानों को सरकार ने समिति के सदस्य के रूप में नामित किया। समिति को सरकार की तरफ से आधिकारिक रूप से कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (2 फीसदी कम या ज्यादा) तक काबू में रखना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति द्वारा जिन नामों को मंजूरी दी गई। उनमें भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर चेतन घाटे, दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के निदेशक पामी दुआ और भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के प्रोफेसर रविंद्र ढोलकिया शामिल हैं।
मौद्रिक नीति समिति का कार्यकाल 4 सालों का होगा। आरबीआई ने इस 6 सदस्यीय समिति में अपने तीन प्रतिनिधियों को शामिल किया है, जिसमें आरबीआई के गर्वनर, जो कि वर्तमान में उर्जित पटेल है। वे इस समिति की अध्यक्षता करेंगे। ़िडप्टी गवर्नर आर.गांधी और कार्यकारी निदेशक मिशेल पात्रा शामिल हैं। वित्त अधिनियम 2016 के द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम 1934 (आरबीआई अधिनियम) में संशोधन किया गया, ताकि मौद्रिक नीति समिति को वैधानिक और संस्थागत ढांचा प्रदान किया जा सके।
इस दौरान एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने इस साल एशिया की विकास दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, चीन की विकास दर 6.6 से 6.5 फीसदी और भारत की विकास दर 7.4 से फीसदी रहने का अनुमान है। एडीबी ने भारत की विकास दर 2017 में 7.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। –आईएएनएस
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